इस्लाम धर्म :

परिचय : यह ईसाई धर्म के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है जिसके दो अरब से अधिक अनुयायी है, जिसमें वैश्विक आबादी का लगभग 25 प्रतिशत शामिल है। इस्लाम धर्म में ईश्वर दयालु, देने वाले सर्वशक्तिमान और अद्वितीय है। ईश्वर या अल्लाह ने विभिन्न नबियों प्राकट्य (revealed) शास्त्रों और प्राकृतिक संकेतों के माध्यम से मानवता का मार्गदर्शन किया है, जिसमें कुरान अंतिम सार्वभौमिक इल्हाम है।
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उत्पत्ति और संक्षिप्त इतिहास:
इस्लाम की उत्पत्ति वर्तमान सऊदी अरब (मक्का) में 632 ईस्वी में हुई थी। ‘इस्लाम’ शब्द का अर्थ है ‘ईश्वर के प्रति समर्पण’। मुसलमान वे लोग हैं जो इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं का पालन करते हैं। पैगंबर मुहम्मद ईश्वर के अंतिम दूत थे। ऐसा माना जाता है कि देवदूत ने पैगंबर मुहम्मद को ईश्वरीय संदेश दिया। उन्होंने इस ज्ञान/ सार को अपने अनुयायियों तक पहुँचाया। उनका निवास स्थान मक्का में था, परंतु थोड़े समय के लिए उन्हें मक्का से मदीना पलायन के लिए बाध्य किया गया था। यही कारण है कि मक्का और मदीना मुसलमानों के लिए पवित्र स्थान हैं।
आधारभूत सिद्धांत या अंतर्निहित दर्शन:
हर धर्म का अपना दर्शन होता है। इस्लाम में भी पाँच स्तंभ हैं। इस्लाम को मानने वालों को निम्नलिखित पाँच सिद्धांतों का पालन करना चाहिए:
- शहादाः आस्था का पेशा।
- सलात या नमाजः मक्का की ओर मुहं कर दिन में पाँच बार प्रार्थना करना और एक उपदेश (खुतबा) सुनना
- सौम या रोजाः स्वस्थ मुसलमानों द्वारा रमजान के पवित्र महीने के दौरान उपवास।
- जकातः कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को भिक्षा देना या दान देना।
- हजः जीवन में कम से कम एक बार मक्का की यात्रा।
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तथ्य : क्या आप जानते हैं?
जुमा नमाज शुक्रवार की नमाज या सामूहिक प्रार्थना (सलात) है जो मुसलमान हर शुक्रवार को आयोजित करते हैं
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पवित्र ग्रंथ या पुस्तकें:
कुरान (पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु से पहले संकलित ): यह इस्लाम का केंद्रीय धार्मिक ग्रंथ है, जिसे मुसलमानों द्वारा ईश्वर का रहस्योद्घाटन माना जाता है।
ईसाई धर्म:

परिचय- यह एक ऐसा धर्म है जो यीशु के जीवन, शिक्षाओं और मृत्यु से उपजा है। यह दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है, जिसके लगभग 2.8 बिलियन अनुयायी हैं, जो वैश्विक आबादी का एक तिहाई है।
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तथ्य :
क्या आप जानते ह?
ईसाई धर्म, इस्लाम और यहूदी धर्म का समान/एक ही पूर्वज है -अब्राहम / इब्राहीम (यरूशलेम शहर में प्रमाण प्राप्त किया जा सकता है)। इसलिए इन तीनों धर्मों को इब्राहीमी धर्म कहा जाता है। |
उत्पत्ति और संक्षिप्त इतिहास:
ईसाई धर्म की स्थापना ईसा मसीह ने यरूशलेम में की थी। इसके अनुयायी, जिन्हें ईसाई के रूप में जाना जाता है, का मानना है कि यीशु परमेश्वर के पुत्र है, जिसके मसीहा के रूप में आने की भविष्यवाणी हिब्रू बाइबिल में की गई थी। भारत में, ईसाई धर्म का प्रसार दो चरणों में हुआ।
भारत में ईसाई धर्म का विकास एवं प्रभाव :
चरण 1:
सेंट थॉमस प्रथम शताब्दी में भारत आए, इनके आगमन से तमिलनाडु और केरल के तटीय इलाकों में ईसाई धर्म फैलना शुरू हुआ। बाद में, पुर्तगाली व्यापारियों के साथ आए ईसाई मिशनरियों ने इसका प्रचार किया। हालाँकि यह पश्चिमी भारत के तटीय इलाकों तक सीमित था।
चरण 2 :
ब्रिटिश शासन के तहत 18वीं शताब्दी में मिशनरी कार्य : 1813 के चार्टर अधिनियम ने ईसाई मिशनरियों के कार्य को गति प्रदान दी। मिशनरियों ने धर्म परिवर्तन करने वालों की शिक्षा और उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया।
आधारभूत सिद्धांत या अंतर्निहित दर्शन:
ईसाई धर्म पवित्र त्रिमूर्ति (पिता-पुत्र-पवित्र आत्मा) की अवधारणा में विश्वास करता है। ईश्वर एक है जिसने ब्रह्मांड को बनाया है। जब भी आवश्यक होता है, परमेश्वर एक दूत या मसीहा भेजता है। यीशु की मृत्यु के बाद, परमेश्वर पवित्र आत्मा के रूप में अपनी उपस्थिति बनाए रखता है।
पवित्र त्रिमूर्ति = पिता (परमेश्वर) आत्मा (परमेश्वर की अदृश्य उपस्थिति) + पुत्र (योश) +पवित्र आत्मा (परमेश्वरकीअदृश्य शक्ति)
पवित्र पुस्तकः बाइबल ईसाई धर्म का पवित्र ग्रंथ या का एक संग्रह है। बाइबल एक संकलन है- विभिन्न प्रकार के धार्मिक संकलन-मूल रूप से हिब्रू, अरमाइक और कोइन ग्रीक में लिखा गया है।
महत्वपूर्ण शब्दावली:
बपतिस्मा (धार्मिक स्नान): जब एक बच्चा/कोई भी बाँधि चर्च की सेवा में प्रवेश करता है
यूचरिस्ट (अंतिम भोज को संस्कार): भगवान के साथ रोटी औ शराब ग्रहण / सेवन (भगवान के साथ एकता दिखाने के लिए) करना।
पारसी धर्म:

यह धर्म प्राचीन ईरान में विकसित हुआ। यह भगवान के बीच निरंतर लड़ाई के विचार पर आधारित है जहाँ एक अच्छे (अहुर मज्दा) का प्रतिनिधित्व करता है और एक बुराई (अंगिरा मैन्यु) का प्रतिनिधित्व करता है।
उत्पत्ति और संक्षिप्त इतिहास-
पारसी/ जरथुस्त्र धर्म या मजदायसन एक ईरानी धर्म है और ईरानी भाषी पैगंबर जोरास्टर (जरथुस्त्र) की शिक्षाओं के आधार पर दुनिया के सबसे पुराने संगठित धर्मों में से एक है।
इस्लाम के आक्रमण के कारण, पारसी धर्म के अनुयायियों (जोरोस्ट्रियन्स) को ईरान छोड़ना पड़ा और शायद 8वीं -10 वीं शताब्दी ईस्वी के बीच यह भारत आए। भारत में, इन्हें आमतौर पर पारसी और ईरानी के रूप में जाना जाता है। इनकी ज्यादातर आबादी मुंबई, गोवा और अहमदाबाद में हैं। भारत में पारसियों की आवारी कम होती जा रही है। बांझपन और देर से विवाह जनसंख्या में गिरावट के मुख्य कारणों में से हैं। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने भारत में पारसी समुदाय की आबादी में गिरावट को रोकने के लिए 2013 में ‘जियो पारसी’ योजना शुरू की थी।
आधारभूत सिद्धांत या अंतर्निहित वर्शन-
पारसी धर्म के लोग एकेश्वरवादी होते हैं। वे एक अमर भगवान में विश्वास करते हैं जिसका नाम अहुरा मजदा है।
अहुर मज्दा – अजन्मा और सर्वज्ञ परमेश्वर।
अंगिरा मैन्युः नकारात्मक अथवा विनाशक शक्तियों के स्वामी। यह ‘अग्नि’ की पूजा करते हैं। उनके अग्नि मंदिरों को ‘अताश बेहराम’ कहा जाता है। शवों को गिद्धों के लिए खुली जगहों पर रखा जाता हैं। इन खुले स्थानों को ‘दखमा’ या टॉवर्स ऑफ साइलेंस (निस्तब्धता का दुर्ग) कहा जाता है।
पवित्र ग्रंथ–
जेंद अवेस्ता (17 पवित्र गीतों से मिलकर बना है जिन्हें ‘गाथा’ और अहुना वैर्य कहा जाता है)।”)
प्रमुख व्यक्तित्वः
पारसी और ईरानी आबादी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में रचनात्मक भूमिका निभाई है, व्यापार और उद्योग का नेतृत्व प्रदान किया है। कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तित्व हैं:
- होमी जहाँगीर भाभाः भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक और TIFR (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) और BARC (भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र) के संस्थापक निदेशक।
- फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ : फील्ड मार्शल के रूप में पदोन्नत होने वाले पहले भारतीय सेना अधिकारी।
- रतन टाटाः प्रसिद्ध उद्योगपति और परोपकारी।
- अर्देशिर गोदरेजः 1897 में गोदरेज ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक।
- डॉ साइरस पूनावालाः सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के संस्थापक। (कोविशील्ड वैक्सीन के निर्माता)
महत्वपूर्ण शब्दावली-
नवरोजः ईरानी नव वर्ष पारसी समुदाय द्वारा भारत में मनाया जाता है। वेंडीवावः यह बुरी आत्माओं की विभिन्न अभिव्यक्तियों और उन्हें भ्रमित करने के तरीकों की गणना है।
खोरवेह अवेस्ताः यह आम प्रार्थनाओं पर एक पुस्तक है। खोरदेह अवेस्ता का अर्थ है: छोटा अवेस्ता।
किस्सा-ए-संजानः यह पारसियों के प्रवास और भारतीय उप-महाद्वीप में उनकी बसावट का लेखा-जोखा है।
यहूदी धर्म-

यह प्राचीन यहूदियों के बीच विकसित एक एकेश्वरवादी धर्म है। यहूदी धर्म यहूदी लोगों की जीवन पद्धति का सार/दर्शन है जिसमें शांस्कृतिक परंपराएँ शामिल हैं।
संक्षिप्त इतिहास–
इसका उद्भव पूर्वी भूमध्य सागर (दक्षिणी लेवेंट) में इस्राएलियों के साथ हुआ। यहूदी धर्म के अनुयायियों को यहूदी कहा जाता है। यह दुनिया का सबसे अधिक उत्पीड़ित/सताया गया धर्म है। इस धर्म की उत्पत्ति ईसाई धर्म और इस्लाम से बहुत पहले हुई थी। यहूदी दर्शन का प्रभाव ईसाई और इस्लाम धर्म में भी देखा जा सकता हैं। यहूदी कानून, जिसे हलाखा कहा जाता है- सहस्राब्दियों सेजारी व्याख्याओं और पुनर व्याख्याओं के कारण हलाखा में समय के साथ बदलाव आया है। यहूदी यहोवा या सच्चे परमेश्वर में विश्वास करते हैं।
पवित्र ग्रंथ या पुस्तकें:
तोराह/तौरेत (शाब्दिक अर्थ है “निर्देश”, “शिक्षण” या “कानून”) हिब्रू बाइबिल की पहली पाँच पुस्तकों का संकलन है। तोराह यहूदी उपदेशों, संस्कृति और प्रथाओं पर एक समग्र पुस्तक है।
प्रमुख उप-संप्रदाय-
सर्वप्रथम यहूदी शरणार्थी भारत के पश्चिमी तट पर आकार बसे थे। आबादी में काफी कम होने के वावजूद भारत में पाँच यहूदी समुदाय हैं:
- बगदादी यहूदीः पश्चिम एशिया से आए थे। वर्तमान में, वे मुंबई और कोलकाता में पाए जाते हैं।
- बेने (Bene) यहूदीः मराठी भाषी यहूदी, भारत में सबसे बड़ा यहूदी समुदाय।
- बेने एफरेंम (Bene Ephraim): तेलुगु भाषी यहूदी।
- कोचीन यहूदीः मलयालम भाषी यहूदी।
- बेनेई मेनाशे (Bnei Menashe): भारत और म्यांमार की सीमा पर मणिपुर और मिजोरम राज्य में बस गए। मिजो, कुकी और चिन जनजातियों में शामिल।
अन्य प्रमुख आदि धर्म
सरना वाद :
- उत्पत्ति : मध्यभारत , झारखंड
- आदिवासी समुदाय का धर्म (हो, मुंडा, बैगा, संथाल आदि)
- आदि धरम के नाम से भी जाना जाता है।
- प्रकृति की पूजा (मुख्यतः साल के पेड़ की), इसका आदर्श वाक्य जल-जंगल-जमीन है।
- सरना मंदिरों को जहेर थान कहा जाता है।
- झारखंड सरकार ने सरना को एक अलग धर्म के रूप में मान्यता और 2021 की जनगणना में इसे एक अलग कोड के रूप में शामिल करने की मांग की है।
सनमाह वाद :
- उत्पत्ति : मणिपुर
- मेतेई लोग इसके अनुयायी हैं।
- इसमें शमन प्रकार की पूजा शामिल है।
- संबंधित त्योहारः लाई हरोबा
- पवित्र पुस्तकः पुया
अय्यावाजी :
- उत्पत्ति : केरल और तमिलनाडु :
- अय्या वैकुंदर की शिक्षाओं पर आधारित
- पवित्र ग्रंथः अकिलाथिद्धू अम्मानाई
बहाई धर्म :
- उत्पत्ति : फ़ारस
- संस्थापकः बहाउल्लाह
- तीन प्रमुख सिद्धांतः ईश्वर की एकता, धर्म की एकता और मानवता की एकता।
- दिल्ली का कमल मंदिरः बहाई आस्था
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