प्राचीन भारत में उत्पादित मोटे अनाजों (श्री अन्न) का वर्तमान में महत्व एवं उपयोगिता
सारांश – प्राचीन भारत में लगभग 5000 वर्ष पूर्व से उगाए जाने वाले मोटे किस्म के अनाज अनेक प्रकार के होते हैं जैसे कि ज्वार, बाजरा, रागी, कँगनी, कोदो, कुटकी राजगीर आदि जिन्हे वर्तमान में ‘श्री अन्न’ या ‘मिलेट’ कहा जाता है। भारतीय मिलेट्स व्यापक रूप से खाद्यान्न के रूप में उपयोग किए जाते हैं और इनका सेवन अधिकतर रोटी, खिचड़ी, उपमा और दाल के साथ किया जाता है। ये मिलेट्स पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर, विटामिन्स, और मिनरल्स में उच्च मात्रा में होते हैं। भारतीय मिलेट्स में कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं जैसे कि वे ग्लूटन फ्री होते हैं, एलर्जी के मामलों में सहायक हो सकते हैं, ये अनेक बीमारियों विशेष रूप से डायबिटीज के प्रबंधन में मदद कर सकते हैं और वजन नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं। इनका सेवन स्वास्थ्यप्रद और विशेष रूप से शाकाहारी आहार में उपयोगी होता है।
शब्द कुंजी – श्री अन्न, ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी, कँगनी, सावा, चीना, कुट्टू, राजगीर, महत्व।
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प्रस्तावना – प्राप्त ऐतिहासिक साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि भारत में सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर अब तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में मोटे अनाजों का उत्पादन होता रहा है। मोटे अनाज जैसे कि गेहूं, जौ, और चावल प्राचीन भारतीय सभ्यताओं में प्रमुख भोजन स्रोत रहे हैं। इन्हें बहुत पूर्व काल से ही उगाया जाता था और इनका सेवन उस समय की जीवनशैली का अहम हिस्सा था। उस समय के अवशेषों, जैसे कि खुदाइयों, विभिन्न रिटुअल्स और पुरातात्विक खोजों से प्राप्त जानकारी से हमें पता चलता है कि मोटे अनाजों का उपयोग प्राचीन समय में भारत में व्यापक था। वैदिक ग्रंथों एवं कौटिल्य के अर्थशास्त्र, मेगास्थनीज की इंडिका में कोद्रव, कँगनी, जौ, ज्वार, बाजरा, मुंडुर आदि अनाजों को उगाए जाने का स्पष्ट उल्लेख है। आजाद भारत में श्री अन्न मिलेट्स, जिन्हें पहली बार एक भारतीय वैज्ञानिक डॉ. डी. डी. पंड्या ने 1960 में विकसित किया, जो भारतीय खाद्यान्न की महत्ता को दर्शाते हैं। इनकी खेती आजाद भारत के मुख्य खाद्यान्न की कमी को पूरा करने के लिए शुरू की गई थी। जिसे वर्तमान में मिलेट कहा जाता है और इन अनाजों में मौजूद पोषक तत्वों के कारण व्यापक रूप से श्री अन्न या मोटे अनाजों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा। इसी के चलते भारत में वर्ष 2023 में ‘मिलेट क्रांति’ हुई। मिलेट्स एक वर्ग हैं जो खाद्य के रूप में उपयोग किए जाते हैं और भोजन के स्वास्थ्यकर आंकड़ों को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। ये खासकर जैविक खेती में उत्पादित होते हैं और उनमें विटामिन, प्रोटीन, फाइबर, और अन्य आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
भारतीय मिलेट एक श्रेणी के छोटे अनाज हैं जो भारत में प्राचीन समय से उत्पादित होते आए हैं। ये मिलेट्स अनेक प्रकार के होते हैं जैसे कि कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा, रागी, फोक्सटेल मिलेट, कँगनी मिलेट, मक्का, जौ मिलेट आदि मुख्यत: हैं। ये अनाज ग्लूटेन-फ्री होते हैं, जो अनेक लोगों के लिए एलर्जी या प्रतिक्रिया के कारणों से अधिक सुरक्षित होते हैं। वर्तमान में, मिलेट्स की प्रासंगिकता विभिन्न कारणों से बढ़ रही है। आधुनिक समाज तनाव एवं अनेक बीमारियों से जकड़ा हुआ है। और ऐसे समय में इनका सेवन डायबिटीज, हृदय रोग, और वजन नियंत्रण में भी मदद कर सकता है। विभिन्न व्यंजनों में उनका उपयोग, जैसे कि रोटी, खिचड़ी, उपमा, और सलाद, लोगों को सेहतमंद और संतुलित आहार प्रदान करता है। इसलिए, मिलेट्स की उपयोगिता और उनकी प्रासंगिकता आज के समय में विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण हैं।
श्री अन्न उगाए जाने वाले प्रमुख क्षेत्र –
भारत श्री अन्न (मिलेट्स) के प्रमुख उत्पादकों एवं आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, और अखिल देश में कई श्री अन्न (मिलेट्स) स्रोत बिंदु स्थित हैं। भारत में मुख्य श्री अन्न (मिलेट्स) उगाने वाले राज्य राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश हैं, इन राज्यों में बड़ी संख्या में श्री अन्न (मिलेट्स) किसान हैं जो घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए अनाज उगाते हैं। प्रमुख श्री अन्न (मिलेट्स) उत्पादक राज्यों के अतिरिक्त, अखिल भारत में कई छोटे श्री अन्न (मिलेट्स) उत्पादक क्षेत्र भी स्थित हैं। इन क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश राज्य शामिल हैं।
श्री अन्न के प्रकार –
श्री अन्न (मिलेट्स) वैज्ञानिक नाम
- जवार (Sorghum) – सोरघम बाइकलर (Sorghum bicolour)
- बाजरा (Pearl Millet) – पेनिसेटम ग्लौकम एल. (Pennisetum glaucum .L.)
- रागी (Finger Millet) – एलुसिनियन कोरकाना (Eleusine coracana)
छोटा बाजरा (Small Millets):
- कोदो (Kodo) -पास्पलस स्क्रोबिकुलटम (Paspalum scrobiculatum)
- कुटकी (Little Millet) -पैनिकम सुमंत्रेंसा (Panicum sumatrense)
- कंगनी/फॉक्सटेल (Foxtail) -सेटरिया इतालिक (Setaria italic)
- सांवा/बार्नयार्ड(Barnyard) -इचिनोक्लोआ फ्रमेनेशिया(Echinochloa frumentacea)
- चीना/प्रोसो (Proso) -पैनिकम मिलिएसियम एल. (Panicum miliaceum L.)
दो छोटे मिलेट –
- 1. बक व्हीट (कुट्टू) -फैगोपिरम एस्कलेंटम (Fagopyrum esculentum)
- 2. ऐमारैंथस (चौलाई) -Amaranthus (Chaulai) -अमरनथस विरिदिस (Amaranthus viridis)
श्री अन्न या मिलेट्स का महत्व एवं लाभ –
- श्री अन्न (मिलेट्स) पारिस्थितिक परिस्थितियों की एक व्यापक श्रृंखला के लिए अत्यधिक अनुकूल है तथा यह फसल वर्षा-सिंचित क्षेत्र में अच्छी तरह से पनपता है; इस फसल को शुष्क जलवायु और पानी, उर्वरकों और कीटनाशकों की न्यूनतम आवश्यकता होती है।
- स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिकता से भरपूर फसल: अन्य अनाजों की तुलना में इसमें बेहतर सूक्ष्म पोषक तत्व एवं बायोएक्टिव फ्लेवोनोइड पाए जाते हैं।
- श्री अन्न (मिलेट्स) में निम्न ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है तथा यह मधुमेह की रोकथाम से भी जुड़ा होता है।
- यह आयरन, जिंक तथा कैल्शियम जैसे खनिजों का उपयुक्त स्रोत है।
- श्री अन्न (मिलेट्स) ग्लूटेन-मुक्त होता है और सीलिएक रोग के रोगियों द्वारा इसका सेवन भी किया जा सकता है।
- श्री अन्न (मिलेट्स) का हाइपरलिपिडिमिया के प्रबंधन और रोकथाम और सीवीडी के जोखिम पर लाभकारी प्रभाव पड़ता है।
- श्री अन्न (मिलेट्स) वजन घटाने, बीएमआई और उच्च रक्तचाप में सहायक पाया गया है।
- भारत में, श्री अन्न (मिलेट्स) का सेवन आम तौर पर फलियों के साथ किया जाता है, जो प्रोटीन का परस्पर पूरक बनाता है तथा अमीनो एसिड सामग्री को बढ़ाता है, एवं प्रोटीन की समग्र पाचनशक्ति में सुधार करता है।
- पकाने के लिए तैयार, खाने के लिए तैयार श्रेणी में श्री अन्न (मिलेट्स) आधारित मूल्य वर्धित उत्पाद शहरी आबादी को आसानी से सुलभ और सुविधाजनक रूप से प्राप्त है।
- श्री अन्न (मिलेट्स) का उपयोग खाद्य पदार्थ के साथ-साथ पशु-चारे के रूप में दोहरे प्रयोजन के लिए भी किया जाता है, जो इसकी खेती को अधिक कुशल बनाता है।
- श्री अन्न (मिलेट्स) की खेती कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में सहायता प्रदान करती है।
भारत में उगाए जाने वाले प्रमुख मोटे अनाजों एवं उनसे प्राप्त पोषक तत्वों का विवेचन निम्नवत है-
ज्वार –
ज्वार (Sorghum) एक ग्रामीण फसल है जिसमें कार्बोहाइड्रेट की उच्च मात्रा पाई जाती है तथा इसका वैज्ञानिक नाम सोरघम बाइकलर एल. (Sorghum bicolor L.) है। यह लाखों अर्ध-शुष्क निवासियों की मुख्य फसलों में से एक है, जिसे “द किंग ऑफ मिलेट्स” (“The KING OF MILLETS”) के रूप में भी जाना जाता है। इसका मुख्य संघटक स्टार्च है, जो अन्य अनाजों की तुलना में काफी धीरे पचता है और इसमें प्रोटीन एवं वसा की पाचन शक्ति भी कम होती है। गैर-संचारी रोगों की शुरुआत ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस एवं अत्यधिक फ्री रेडिकल प्रोडक्शन से काफी प्रभावित होती है। द्वितीय चरण के एंजाइम की अभिव्यक्ति को ज्वार से प्राप्त फेनोलिक रसायनों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह अत्यधिक रियेक्टिव इलेक्ट्रोफिलिक स्पाइसीज़ (आरईएस) को हार्मलेस एवं एक्सक्रेटेबल मेटाबोलाइट्स में परिवर्तित करके ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के विरुद्ध शरीर की प्राकृतिक रक्षा के रूप में कार्य करते हैं।
ज्वार (Sorghum) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
- ऊर्जा (केसीएएल) -349
- प्रोटीन -10.4 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट -72.6 ग्राम
- फाइबर -1.6 ग्राम
- कैल्शियम -25 ग्राम
- आयरन -4.1 मिलीग्राम
बाजरा मिलेट –
सबसे व्यापक रूप से खेती किया जाने वाला श्री अन्न (मिलेट्स) बाजरा (Pearl Millet) (Pennisetum glaucum, P. typhoides, Pryhpideum, and P. americanum) है। बड़े तने, पत्ते और शीर्ष भाग ग्रीष्मकालीन अनाज घास की विशेषता है। कृषि भूमि एवं अफ्रीका और एशिया के कुछ भागों में जो केवल सीमित मात्रा में अन्य फसलों का उत्पादन कर सकते हैं, खाद्य सुरक्षा में योगदान के संदर्भ में, बाजरा (Pearl Millet) श्री अन्न (मिलेट्स) की सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति है। ज्वार (sorghum) या मक्का (maize) जैसे अन्य श्री अन्न (मिलेट्स) की तुलना में, यह नमी को अधिक प्रभावी ढंग से अवशोषित करता है, संघनित पुष्पगुच्छ (स्पाइक) जिसकी लंबाई 10 से 150 सें.मी. होती है, इस अनाज को उगने में सहारा देती है। गर्मी और सूखे की स्थिति में, बाजरा (Pearl Millet) में सभी श्री अन्न (मिलेट्स) की तुलना में सबसे अधिक उपज क्षमता होती है। वजन घटाने की प्रक्रिया में बाजरा (Pearl Millet) काफी फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इसमें फाइबर सामग्री उच्च मात्रा में पाई जाती है तथा यह पेट से आंतों तक जाने में अधिक समय लेता है। यह पाया गया है कि इसकी उच्च फाइबर सामग्री के कारण पित्त पथरी होने का खतरा कम होता है। बाजरा (Pearl Millet) फास्फोरस और कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत है जो पीक बोन डेंसिटी प्राप्त करने में भी सहायता करता है।
बाजरा पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
- ऊर्जा (केसीएएल) -361
- प्रोटीन -11.6 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट -65.5 ग्राम
- फाइबर -1.2 ग्राम
- कैल्शियम -42 मिलीग्राम
- आयरन -8.0 मिलीग्राम
रागी – पूर्वी अफ्रीका एवं एशिया में एक प्रकार का मुख्य अनाज रागी है, जिसे भारत (भारत, नेपाल) में रागी के नाम से जाना जाता है। तने के शीर्ष पर, पौधे में कई स्पाइक्स या “भाग” होते हैं। इसके दाने छोटे (व्यास में 1-2 मिमी) होते हैं। रागी खनिज, डाइटरी फाइबर, पॉलीफेनोल्स और एवं से भरपूर होता है। कैल्शियम से भरपूर रागी बढ़ते बच्चों, गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ मोटापे, मधुमेह और कुपोषण से पीड़ित लोगों के लिए भी अहम भूमिका निभाता है। रागी में गुर्दे (किडनी) और मस्तिष्क के समुचित कार्य के लिए उच्च मात्रा में पोटेशियम होता है और यह मस्तिष्क व मांसपेशियों को सुचारू रूप से कार्य करने की क्षमता रखता है।
रागी (Finger Millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम –
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
- ऊर्जा (केसीएएल) -328
- प्रोटीन -7.3 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट -72 ग्राम
- फाइबर -2.6 ग्राम
- कैल्शियम -344 मिलीग्राम
- आयरन -8.9 मिलीग्राम
छोटे प्रकार के मिलेट्स –
- कोदो मिलेट एवं उसकी उपयोगिता –
भारत में, कोडो मिलेट (Kodo Millet) (Paspalum scrobiculum) ज्यादातर दक्कन क्षेत्र में उगाया जाता है तथा इसकी खेती हिमालय की तलहटी तक फैली हुई है। कोडो मिलेट डाइटरी फाइबर एवं आयरन, एंटीऑक्सीडेंट जैसे खनिजों से भरपूर होता है। कोडो मिलेट में फास्फोरस की मात्रा किसी भी अन्य श्री अन्न (मिलेट्स) की तुलना में कम होती है और इसकी एंटीऑक्सीडेंट क्षमता किसी भी अन्य श्री अन्न (मिलेट्स) और प्रमुख अनाज की तुलना में बहुत अधिक होती है। एंटीऑक्सिडेंट की उच्च मात्रा ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के विरुद्ध मदद करती है और टाइप -2 मधुमेह में ग्लूकोज सांद्रता को बनाए रखती है। कोडो मिलेट अस्थमा, माइग्रेन, रक्तचाप, दिल का दौरा और एथेरोस्क्लेरोसिस, मधुमेह हृदय रोग और महिलाओं में पोस्टमेनोपॉज़ल के इलाज में उपयोगी होता है।
कोदो (Kodo Millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम-
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
- ऊर्जा (केसीएएल) -302
- प्रोटीन -8.03 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट -69.9 ग्राम
- फाइबर -8.5 मिलीग्राम
- कैल्शियम -22.0 मिलीग्राम
- आयरन -9.9 मिलीग्राम
- कुटकी मिलेट –
कुटकी (Little Millet) (Panicum miliare) अखिल भारत में 2100 मीटर की ऊंचाई तक एक सीमित सीमा तक उगाए जाने वाले छोटे श्री अन्न (मिलेट्स) में से एक है। यह चीना/प्रोसो मिलेट की ही एक प्रजाति है लेकिन कुटकी के बीज चीना/प्रोसो मिलेट की तुलना में बहुत छोटे होते हैं, जिसमें उनकी कम कार्बोहाइड्रेट सामग्री, धीमी पाचनशक्ति और कम पानी में घुलनशील गम सामग्री होती है। इनमें मौजूद जटिल कार्बोहाइड्रेट, फेनोलिक कम्पाउंड्स, एंटीऑक्सीडेंट सामग्री मधुमेह, कैंसर, मोटापा आदि जैसे मेटाबोलिक संबंधी विकारों को रोकने में सहायता करती है।
कुटकी (Little Millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम-
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
- ऊर्जा (केसीएएल) -314
- प्रोटीन -10.13 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट -65.55 ग्राम
- फाइबर -7.72 मिलीग्राम
- कैल्शियम -32.00 मिलीग्राम
- आयरन -1.30 मिलीग्राम
- कँगनी –
कंगनी/फॉक्सटेल मिलेट (Foxtail millet) (Setaria italica L.) एक वार्षिक प्रकार का घास का पौधा है, जो आवश्यक अमीनो एसिड की उच्च सामग्री वाली अपनी विशिष्ट प्रोटीन संरचना के कारण स्वास्थ्य को बेहतर करने वाले गुणों के बीज उत्पादित करता है। यह सबसे पहले उगाई जाने वाली फसलों में से एक है, जो एशिया एवं अफ्रीका के शुष्क तथा अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के साथ-साथ विश्व के कुछ अन्य आर्थिक रूप से विकसित देशों में व्यापक रूप से उगाई जाती है, जहां इसका उपयोग आमतौर पर पक्षियों के चारे के रूप में किया जाता है। इस बाजरा में मौजूद फाइटिक एसिड और टैनिन जैसे विरोधी पोषक तत्वों को उचित प्रसंस्करण विधियों का उपयोग करके अवांछनीय मात्रा में कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, कंगनी/फॉक्सटेल में एंटीऑक्सीडेंट, निम्न ग्लाइसेमिक इंडेक्स एवं हाइपोलिपिडेमिक गुण पाए जाते हैं।
कंगनी/फॉक्सटेल (Foxtail millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
- ऊर्जा (केसीएएल) -331
- प्रोटीन -12.30 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट -60.9 ग्राम
- फाइबर -14.0 मिलीग्राम
- कैल्शियम -31 मिलीग्राम
- आयरन -3.6 मिलीग्राम
सांवा –
सांवा/बार्नयार्ड मिलेट (Barnyard Millet) (Echinochloacrusgalli, E. colona) एक अल्पावधि फसल है जो लगभग बिना किसी उत्पादक सामग्री के प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों में बढ़ सकती है और विभिन्न बायोटिक एवं एबायोटिक स्ट्रेस को सहन कर सकती है। इन कृषि संबंधी लाभों के अतिरिक्त, चावल, गेहूं एवं मक्का जैसे प्रमुख अनाज की तुलना में इस अनाज को इसके उच्च पोषण मूल्य तथा निम्न व्यय हेतु महत्व दिया जाता है। यह प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर का समृद्ध स्रोत है और सबसे विशेष रूप से सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे आयरन (Fe) और ज़ीन (Zn) जो कई स्वास्थ्य लाभों से संबंधित हैं। ये विशेषताएं सांवा/बार्नयार्ड को निर्वाह किसानों के लिए एक आदर्श पूरक फसल बनाती हैं और यह फसल चावल/प्रमुख फसल वाले क्षेत्रों में मानसून न आने के दौरान एक वैकल्पिक फसल के रूप में भी उपयोग की जाती है।
सांवा/बार्नयार्ड (Barnyard Millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम-
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
- ऊर्जा (केसीएएल) -341
- प्रोटीन -7.7 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट -67.0 ग्राम
- फाइबर -7.6 मिलीग्राम
- कैल्शियम -17 मिलीग्राम
- आयरन -9.3 मिलीग्राम
चीना –
चीना/प्रोसो मिलेट (Proso millet) (Panicum miliaceum L.) कम उपयोग वाली फसल है जो मानव उपभोग, पक्षी बीज, और/या इथेनॉल उत्पादन के लिए उपयोग किया जाने वाला अत्यधिक पौष्टिक अनाज है। चीना/प्रोसो मिलेट के दाने विटामिन (नियासिन, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, और फोलिक एसिड), खनिज (PCa, Zn, Fe) और आवश्यक अमीनो एसिड (मेथिओनिन और सिस्टीन), स्टार्च, और एंटीऑक्सिडेंट एवं बीटा-ग्लुकन जैसे फेनोलिक कम्पाउंड का एक समृद्ध स्रोत है। बीजों में उपचारात्मक लाभ वाले घटक भी होते हैं, जो रक्त में लॉ-डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं और लिवर क्षति को कम करते हैं और इसकी उच्च लेसिथिन सामग्री तंत्रिका स्वास्थ्य प्रणाली का समर्थन करती है।
चीना/प्रोसो (Proso millet) पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम-
पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
- ऊर्जा (केसीएएल) -309
- प्रोटीन -8.30 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट -65.90 ग्राम
- क्रूड फाइबर -9.00 मिलीग्राम
- कैल्शियम -27.00 मिलीग्राम
- आइरन -0.50 मिलीग्राम
कूट्टू –
भारत में, कुट्टू के आटे को कुट्टू का आटा कहा जाता है और यह लंबे समय से सांस्कृतिक रूप से शिवरात्रि , नवरात्रि और जन्माष्टमी जैसे कई त्योहारों से जुड़ा हुआ है। इन त्योहारों के दिन केवल कुट्टू से बने खाद्य पदार्थों का ही सेवन किया जाता है। एक प्रकार का अनाज ( फागोपाइरम एस्कुलेंटम), या आम एक प्रकार का अनाज नॉटवीड परिवार पॉलीगोनेसी में एक फूल वाला पौधा है जिसकी खेती इसके अनाज जैसे बीजों के लिए और एक कवर फसल के रूप में की जाती है । “बक्वीट” नाम का उपयोग कई अन्य प्रजातियों के लिए किया जाता है, जैसे कि फागोपाइरम टाटरिकम, एशिया में उगाया जाने वाला एक घरेलू खाद्य पौधा है। इसमें प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं।
कूट्टू पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
- कार्बोहाइड्रेट -72% ,
- प्रोटीन -13%
- वसा -3%
- पानी -10%
- फाइबर -10%
चौलाई /राजगीर/ अमरमंथ –
ऐमारैंथस जीनस से संबंधित प्रजातियों की खेती उनके अनाज के लिए 8,000 वर्षों से की जा रही है। अमरंथ के पौधों को छोटे अनाज के रूप में वर्गीकृत किया जाता है जो उनके खाद्य स्टार्चयुक्त बीजों के लिए उगाए जाते हैं, लेकिन वे गेहूं और चावल जैसे वास्तविक अनाज के समान वनस्पति परिवार में नहीं होते हैं । ऐमारैंथ प्रजातियाँ जो अभी भी अनाज के रूप में उपयोग की जाती हैं, चौलाई अनाज की उपज चावल या मक्का के बराबर होती है। यह भारत में प्राय: राजगीर के नाम से जाना जाता है। 100 ग्राम मात्रा में पका हुआ ऐमारैंथ 430 किलोजूल (103 किलो कैलरी) खाद्य ऊर्जा प्रदान करता है और फॉस्फोरस, मैंगनीज और आयरन सहित आहार खनिजों का एक मध्यम समृद्ध स्रोत है।
चौलाई में पोषक तत्व प्रति 100 ग्राम
- कैलोरी -430
- कार्बोहाइड्रेट -19% ,
- प्रोटीन -4%
- वसा -2%
- पानी -10%
- फाइबर -10%
भारत सरकार की पहल – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय कृषि में मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए “मिलेट अन्न प्रोजेक्ट” की शुरुआत की है, उन्होंने मोटे अनाजों को “श्री अन्न” की संज्ञा दी है। इसके साथ ही, खाद्य सुरक्षा और पोषण को मजबूत करने के उद्देश्य से मिलेट्स के सेवन को बढ़ावा दिया गया है। “मिलेट रिवोल्यूशन” के तहत, कृषि विज्ञान और तकनीकी जानकारों की मदद से मिलेट्स की उन्नत तकनीकों और खेती के तरीकों का प्रोत्साहन किया गया है। इससे किसानों को बेहतर उत्पादकता, अधिक आय, और पर्याप्त खाद्य सुरक्षा के लिए समर्थन मिला है।
निष्कर्ष –
निष्कर्ष रूप में यह कहना उचित होगा कि भारतीय श्री अन्न (मिलेट्स) पौष्टिकता से भरपूर समृद्ध, सूखा सहिष्णु फसल है जो ज्यादातर भारत के शुष्क एवं अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में उगाया जाता है। यह एक छोटे बीज वाली घास के प्रकार का होता है जो वनस्पति प्रजाति “(Poaceae)” से संबंधित हैं। यह लाखों संसाधन रहित गरीब किसानों के लिए खाद्य एवं पशु-चारे का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं तथा भारत की पारिस्थितिक और आर्थिक सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस श्री अन्न (मिलेट्स) को “मोटा अनाज” या “गरीबों के अनाज” के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय श्री अन्न (मिलेट्स) पौष्टिकता से भरपूर गेहूं और चावल से बेहतर है क्योंकि यह प्रोटीन, विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं। यह ग्लूटेन-मुक्त भी होते हैं और इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स निम्न होता है, जो इन्हें सीलिएक डिज़ीज़ या मधुमेह रोगियों के लिए अनुकूल बनाता है। इसलिए अब इसे अमीरों का प्रमुख भोजन माना जा रहा है। भारत विश्व में श्री अन्न (मिलेट्स) के शीर्ष 5 निर्यातकों में से एक है। श्री अन्न (मिलेट्स) का विश्व निर्यात 2020 में 400 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2021 (आईटीसी व्यापार मानचित्र) में 470 मिलियन डॉलर हो गया है। भारत ने 2021-22 में 62.95 मिलियन डॉलर के मुकाबले वर्ष 2022-23 में 75.46 मिलियन डॉलर मूल्य के श्री अन्न (मिलेट्स) का निर्यात किया। श्री अन्न (मिलेट्स) आधारित मूल्यवर्धित उत्पादों की हिस्सेदारी नगण्य है।
भारत विश्व में अनाज उत्पादों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ सबसे बड़ा निर्यातक भी है। वर्ष 2022-23 के दौरान भारत का अनाज का निर्यात 111,062.37 करोड़ रुपये / 13,857.95 मिलियन अमरीकी डालर रहा।
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