कौटिल्य की षाड्गुण्य नीति का वर्तमान में उपयोगिता

कौटिल्य की षाड्गुण्य नीति का वर्तमान में उपयोगिता –

प्रस्तावना- एतिहासिक स्रोतों से ज्ञात होता है कि आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व तत्कालीन तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य कौटिल्य द्वारा क्रियांवित उत्तम राजव्यस्था, प्रशासनिक कार्यकुशलता एवं सुदृढ़ सैन्य विधान परवर्ती युगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी। किसी भी राज्य की एकता, अखंडता, स्वतंत्रता एवं सम्प्रभुता के स्थायित्व के लिए दूरदर्शी व स्पष्ट नीतियों का निर्धारण अति आवश्यक है जिसके सफल क्रियान्वयन पर ही सम्बंधित राज्य का अस्तित्व टिका रहता है। कौटिल्य की षाड्गुण्य नीति एक प्राचीन नीतिशास्त्र है जो उसके अर्थशास्त्र में विस्तार से वर्णित है। यह नीति राजनीति, आर्थिक, सामाजिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता को प्राप्त करने के लिए अनुशासन और नीतियों की महत्ता पर जोर देती है। षाड्गुण्य नीति में छह गुणों का उल्लेख है, जो समृद्ध और सुरक्षित समाज की नींव रखते हैं। पहला गुण, “रक्षा” है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण है। दूसरा गुण, “संरक्षण” नीतियों के माध्यम से समाज की सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। तीसरा गुण, “आर्थिक समृद्धि”, विभिन्न आर्थिक उपायों के माध्यम से समृद्धि की दिशा में महत्त्वपूर्ण है। चौथा गुण, “सामरिक सुरक्षा”, जनता की सुरक्षा और संरक्षण को सामाहित करता है। पांचवा गुण, “समरसता”, समाज में सभी वर्गों के बीच समानता और न्याय की स्थापना के लिए है। और आखिरी गुण, “नीति”, सुचारु नीतियों और निर्णयों के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है। षाड्गुण्य नीति ने समृद्धि, समानता, और सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं को प्रोत्साहित किया है और उन्हें समाहित करने के लिए नीतियों और अनुशासन की महत्ता को जागरूक किया है। यह नीति समाज और राजनीति को स्थापित करते समय उपयोगी हो सकती है, ताकि एक समृद्ध, सुरक्षित और समान समाज की दिशा में कदम बढ़ाया जा सके। इस प्रकार आचार्य कौटिल्य के द्वारा प्रतिपादित संधि, विग्रह, यान, आसन, संश्रय, द्वैधीभाव आदि षाड्गुण्य नीति वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के क्रियांवयन में प्रासंगिक है।

कौटिल्य की षाड्गुण्य नीति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों को संकेत करती है-

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  1. राष्ट्रीय सुरक्षा में उपयोगिता- षाड्गुण्य नीति राष्ट्रीय सुरक्षा में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देती है। इस नीति के सिद्धांतों के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार को सशक्त और निर्णायक कदम उठाने चाहिए। यह सुरक्षा को बढ़ावा देता है जो आर्थिक, सामाजिक, और राजनीतिक सुरक्षा के रूप में व्यक्त हो सकता है।
  2. संघर्ष और संरक्षण- यह नीति संघर्ष और संरक्षण के माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा को समझाती है। सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार को आवश्यक रक्षा संरचना, सेना, और प्रशासनिक उपायों का उपयोग करना चाहिए।
  3. अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में महत्त्व- षाड्गुण्य नीति का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्त्व है। इसने विदेशी नीतियों, संबंधों, और अंतरराष्ट्रीय समझौतों में सुरक्षा को बढ़ावा देने के तरीकों को समझाया है।
  4. संघर्ष के नियम- षाड्गुण्य नीति ने संघर्ष के नियमों को समझाया है और इसे राष्ट्रीय सुरक्षा में उपयोगी माना है। इसने युद्ध, शांति संधि, और रक्षा के लिए विभिन्न रणनीतियों को सुझाव दिया है।
  5. सामरिक सुरक्षा की बढ़ावा- नीति ने सामरिक सुरक्षा को भी महत्त्व दिया है, जो एक राष्ट्रीय सुरक्षा के माध्यम से संचालित होती है और जिसमें लोगों की सुरक्षा और संरक्षण शामिल होता है।

इन सिद्धांतों का अनुसरण करके, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में सुरक्षा और स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सकता है। यह नीति सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को समझने और सुलझाने में मदद कर सकती है, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा की गारंटी के रूप में काम करते हैं।

निष्कर्ष – कौटिल्य की षाड्गुण्य नीति राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण नीतियों को प्रस्तुत करती है। इस नीति के अनुसार, समृद्धि, समानता, और सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक न्याय और संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में, नीति ने शक्तिशाली संरचनाओं, सेना, और रक्षा प्रणालियों को सुझाव दिया है जो राष्ट्रीय हितों की रक्षा में मदद कर सकते हैं। यह नीति अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में भी महत्त्वपूर्ण है। विदेशी नीतियों, संबंधों, और समझौतों में सुरक्षा को बढ़ावा देने के तरीकों को समझाने के साथ-साथ, इसने अंतरराष्ट्रीय समूहों और संबंधों को मजबूत करने का भी सुझाव दिया है। आचार्य कौटिल्य वर्णित अर्थशास्त्र एक व्यवहारिक ग्रंथ है जिसमें विविध समस्याओं के समाधान हेतु शत्रु राज्य के विरुद्ध विजिगीषु राज्य को कई उपाय बताये हैं। आज विश्व की बड़ी महाशक्तियां जैसे अमेरिका, रुस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस इत्यादि के राजनीतिक, आर्थिक एवं सामरिक व्यवहार का सिंहावलोकन करने पर पता चलता है कि षाड्गुण्य नीति एवं साम, दाम, भेद व दण्ड की नीति का ही पालन किया जा रहा है। ऐसे में आचार्य कौटिल्य के सैन्य चिंतन की प्रासंगिकता को नकारना अथवा विस्मृत करना बड़ी भूल होगी।

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