यूरोप में पुनर्जागरण – अर्थ, कारण एवं इसकी विशेषताएं

 

एतिहासिक पृष्ठभूमि-

पुनर्जागरण काल (या रीनैसांस) यूरोप में 14वीं से 17वीं सदी के बीच एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक, सामाजिक, और आर्थिक परिवर्तन का काल था। मध्ययुगीन अधिकारवाद और धार्मिकता के बाद, यह युग मनुष्य के सामर्थ्य, विज्ञान, कला, और साहित्य में नवीनीकरण का काल था। इसमें पुनर्जागरणीय विचारधारा, मानवतावाद, और वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रोत्साहना थी। राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था में भी परिवर्तन हुआ, जैसे कि राष्ट्रिय राजाओं की शक्ति में कमी और नगरों में शिक्षा के स्थान में वृद्धि। यह काल साहित्य, विज्ञान, और कला में एक नया उत्थान लाया, जैसे कि राफेल, लिओनार्दो दा विंची, और विलियम शेक्सपियर जैसे कलाकारों के काम। पुनर्जागरण काल ने मानव सोच और संस्कृति के नए युग की शुरुआत की, जो यूरोप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ एवं परिवर्तन लेकर आया था।

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इटली में पुनर्जागरण

पुनर्जागरण का अर्थ –

पुनर्जागरण” एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक शब्द है जिसका अर्थ होता है “पुनरुत्थान” या “पुनर्नवीकरण”। यह एक सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक परिवर्तन की प्रक्रिया को सूचित करता है जो किसी समय के बाद से शुरू होती है और विभिन्न क्षेत्रों में नए और उत्कृष्टता की दिशा में पुनर्निर्माण का समय दर्शाता है। पुनर्जागरण के भिन्न -भिन्न अर्थ दिए गए हैं, जैसे पुनर्जन्म, बौद्धिक जागरण, पुनुरुत्थान, सांस्कृतिक जागरण, सांस्कृतिक नवजागरण आदि।

शाब्दिक अर्थ –

वास्तव में पुनर्जागरण का अंग्रेजी पर्याय रिनेसां (Renaissance)एक फ्रांसीसी शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है पुनर्जन्म या फिर से जागना। ध्यान देना होगा कि यहाँ पर पुनर्जागरण से अर्थ किसी सोये हुए व्यक्ति से नींद से जागना नहीं है अपितु काल विशेष में समस्त मानव समाज का चेतना सम्पन्न होना है।

पुनर्जागरण का सबसे महत्वपूर्ण पहलु, विशेषकर साहित्य, कला, और विज्ञान में, उत्कृष्टता और सृजनशीलता की ऊंचाइयों को प्राप्त करने का प्रयास है। इसका परिणाम सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों के साथ आता है, जिससे समाज में नए और सुधारित मूल्यों का उत्थान होता है।

उदाहरण स्वरूप, (Renaissance) एक पुनर्जागरण काल था जो 14वीं से 17वीं सदी में यूरोप में हुआ। इस काल में साहित्य, कला, विज्ञान, और दर्शन में एक नई ऊंचाइयों की प्राप्ति हुई और यह एक नए सांस्कृतिक युग की शुरुआत की। सम्भावना है कि “पुनर्जागरण” का उपयोग भी अन्य क्षेत्रों में किया जा सकता है, जैसे विपन्न उद्यमिता, शिक्षा, या सामाजिक न्याय के क्षेत्र में सुधार की प्रक्रिया के लिए।

पुनर्जागरण के प्रमुख कारण  : पुनर्जागरण सबसे पहले इटली में ही क्यों ? –

पुनर्जागरण का आरंभ मुख्य रूप से 14वीं सदी के उत्तरार्ध में इटली में हुआ। इसके कई कारण थे जो इटली को पुनर्जागरण की शुरुआत के रूप में उभारा-

इटली की भौगोलिक स्थिति – पुनर्जागरण हेतु इटली की भौगोलिक स्थिति अनुकूल थी। यह पूर्वी एवं पश्चिमी यूरोप के मध्य में तीन तरफ से समुद्र से घिरा, इटली की इस विशिष्ट भौगोलिक विशेषता ने वहाँ व्यापार-वाणिज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके चलते इटली यूरोप का प्रमुख व्यापारिक केंद्र बन गया। जिससे भौतिक संपन्नता आई , इस भौतिक संपन्नता ने सांस्कृतिक संपन्नता को बढ़ावा दिया और साथ ही फ्लोरेन्स जैसी व्यापारिक नगरों की स्थापना हुई, इसी की तरह और भी नगर जिनमें मिलान, वेनिस नेपल्स आदि नगरों का विकास होने साथ यहाँ पर सार्वजनिक संग्रहालय, सार्वजनिक पुस्तकालय एवं नाट्यशाला आदि का निर्माण संभव हो सका।

इटली में मध्यवर्ग का उदय – इटली में मध्य वर्ग का उदय पुनर्जागरण का एक महत्वपूर्ण कारण था। पुनर्जागरण के काल में इटली में मध्यवर्ग का उदय हुआ और यह सामाजिक परिवर्तन का महत्वपूर्ण हिस्सा था। इसके कई कारण थे जो मध्यवर्ग के विकास को प्रोत्साहित करते हैं-

व्यापार और वित्तीय सुधार– पुनर्जागरण के काल में इटली में व्यापार में वृद्धि हुई, और नए विपणी, व्यापारी वर्ग के लिए नए अवसर उत्पन्न हुए। इससे मध्यवर्ग की संख्या बढ़ी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।

नगरीय विकास– इटली के नगरों में विकास हुआ और नए उद्योगों ने अधिक से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया। यह नगरीय सुधारने ने मध्यवर्ग के लोगों को नए आर्थिक अवसर प्रदान किए।

विद्या और शिक्षा-  पुनर्जागरण काल में शिक्षा का महत्व बढ़ा और नए शिक्षा संस्थानों का उद्घाटन हुआ। इससे जनता को शिक्षित बनाने का अवसर मिला और ऐसा करने से मध्यवर्ग में शिक्षित लोगों की संख्या बढ़ी।

साहित्य और कला में समर्थन- मध्यवर्ग ने साहित्य और कला के क्षेत्र में भी समर्थन प्रदान किया। यह नए विचारों, साहित्यिक कार्यों, और कला में नए शैलियों का आधार बनाया। तत्कालीन समय में समृद्धि चरम पर थी, फ्लोरेन्स जहां मेडिसी परिवार का शासन था जिन्होंने सर्वाधिक विद्वानों एवं कलाकारों को संरक्षण प्रदान किया। इनमें प्रमुख थे – लियोनार्डो द विंची, माईकल एंजेलो, दांते, पेटरोर्क, मैकियावेली आदि। इन विद्वानों एवं कलाकारों ने पुनर्जागरण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कुस्तुंतुनिया पर तुर्कों का अधिकार

1453  में कुस्तुंतुनिया पर तुर्कों का अधिकार हुआ था जब अख्तरी तुर्क सुलतान, महमूद दूसरा, ने बायजीद पहले के नेतृत्व में ओसमानी सल्तनत के सैन्य द्वारा ब्यांकोटा एम्पायर (Byzantine Empire) की राजधानी को पूरी तरह से कब्जा कर लिया। 1453 में, जिसे बुरेमा के विजय (Conquest of Constantinople) कहा जाता है, तुर्क सेना ने कुस्तुंतुनिया (Constantinople, जिसे अब इस्तांबुल कहा जाता है) को हमला किया और इसे जीत लिया। इससे पहले, कुस्तुंतुनिया लगातार बीस सदी से सड़े आठ सैकड़े वर्षों तक ब्यांकोटा साम्राज्य की राजधानी रही थी। इस घटना के बाद, तुर्क सल्तानत ने यूरोप में और भी विस्तार किया और इसके परिणामस्वरूप, तुर्क सल्तानत ने बाल्कन और यूरोप के कुछ हिस्सों को अपने अधीन कर लिया। इससे तुर्क सल्तानत ने यूरोप में अपना एक बड़ा साम्राज्य स्थापित किया, जो लम्बे समय तक बना रहा।

परिणामस्वरूप अधिकांश विद्वान और कलाकार ने भागकर इटली में शरण ली। दांते जैसे विद्वान ने डिवाइन कॉमेडी (Divine Comedy) नामक ग्रंथ लिखकर स्वतंत्रता तथा व्यक्तिवाद की भावना पर जोर दिया। गयोटो पहला चित्रकार था, जिसने मध्यकालीन चित्रकारी की परंपरा को तोड़ा।

इन सभी कारणों से मध्यवर्ग का उदय हुआ और इटली में सामाजिक संरचना में परिवर्तन आया, जिससे एक नया समाज और अर्थतंत्र उत्पन्न हुआ।

रोमन संभावनाएं- इटली में रोमन संस्कृति की भूमि है, और पुनर्जागरण के समय में लोगों में रोमन संस्कृति के पुनरावलोकन की भावना थी। इसके परिणामस्वरूप, इटली में कला, साहित्य, और विज्ञान के क्षेत्र में एक प्रभावशाली पुनर्जागरण का उत्थान हुआ।

धार्मिक और सामाजिक प्रेरणा- इटली में रीसनेंस के समय में धार्मिक और सामाजिक प्रेरणा की भावना थी। धार्मिक सोनेने में संस्कृति के प्रति रुचि थी, जो साहित्य, कला, और विज्ञान के क्षेत्र में नए विचारों को उत्पन्न करती थी।

समृद्धि और व्यापार का केंद्र– इटली उस समय एक समृद्ध और व्यापार केंद्र था। यहाँ पर समृद्ध व्यापारिक संबंध थे और यहाँ पर धन की सामग्री और आर्थिक संपत्ति की समृद्धि थी, जो कला, साहित्य, और विज्ञान के क्षेत्र में नवीनतम विचारों को प्रोत्साहित किया।

संस्कृति की आधारभूत स्थिति- इटली ने उत्कृष्ट संस्कृति की आधारभूत स्थिति को धारण किया था। यहाँ पर साहित्य, कला, और विज्ञान के क्षेत्र में अद्वितीय संस्कृति और अध्ययन का वातावरण था जो पुनर्जागरण के विकास को संजोया।

इन सभी कारणों से, पुनर्जागरण की शुरुआत इटली में हुई और इसने यूरोप के बाकी हिस्सों में भी अपना प्रभाव बिखेरा।

पुनर्जागरण की प्रमुख विशेषताएं –

पुनर्जागरण के काल में कई प्रमुख विशेषताएं थीं, जो साहित्य, कला, विज्ञान, और समाज में परिवर्तन की प्रेरणा प्रदान करती थीं। यह विशेषताएं इस काल को एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक युग बनाती हैं-

मानवतावाद – मानवतावाद एक सामाजिक और नैतिक मूल्यवाद है जो मानवीय समाजों में मानवीयता, समरसता, और सामंजस्य की प्रेरणा को बढ़ावा देता है। यह एक सामाजिक तंत्र है जो विभिन्न समुदायों और समाजों में मानवीय संबंधों को समृद्धि, समरसता और न्यायपूर्णता के माध्यम से बनाए रखने का प्रयास करता है। मानवतावाद का सिद्धांत था कि लौकिक मानव के ऊपर अलौकिकता , जैसे ईश्वर, धर्म, वैराग्य आदि को महत्व नहीं देना चाहिए। मानवतावाद पुनर्जागरण की ‘आत्मा’ है। पेट्रोक को पुनर्जागरणकाल का पहला मानवतावादी विचारक माना जाता है। उसी प्रकार इरास्मस को मानवतावादिओं का राजकुमार कहा जाता है। वे पहले ऐसे विचारक थे जिन्होंने ईसा मसीह को ऐतिहासिक व्यक्ति माना है। चित्रकला के क्षेत्र में मानव की भावनाओं एवं संवेदनाओं को प्रदर्शित किया गया। लियोनार्डो – द विंची की कृति ‘मोनालिसा’ इसका प्रमुख उदाहरण है।

बुद्धिवादी स्वरूप – पुनर्जागरण काल में बुद्धिवादी स्वरूप विकसित हुआ और यह काल एक नए दर्शनिक और विचारशील सोच की शुरुआत का समय था। इस काल में वैज्ञानिकों ने ग्रीक और रोमन विज्ञान, गणित, और दर्शन के क्षेत्र में पुनर्निर्माण का कार्य किया। नए दृष्टिकोण ने विज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित किया और नए विज्ञानिक आविष्कारों की ओर प्रवृत्ति की।

यह काल 14वीं से 17वीं सदी तक फैला हुआ था और इसमें नए आत्मविश्वास, विज्ञान, और राजनीतिक सोच के उदय की शुरुआत हुई। बुद्धिवादी सोच ने इस काल को प्रभावित किया और कई विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तन लाया। इस काल में अरस्तू के तर्कशास्त्र का गहरा प्रभाव पड़ा। इस काल में ईश्वर की आस्था की जगह बौद्धिकता को महत्व दिया गया। “मानो तब जानो” की जगह “जानो तब मानो” पर बाल दिया गया। साहित्यकार रोजर बेकन (1214-1292) आधुनिक प्रयोगात्मक विज्ञान का जनक था जिसने विज्ञान में प्रकृति तथा उसके नियमों की खोजबीन हेतु प्रयोग विधि को उपयोग करने का सर्वप्रथम सुझाव दिया। उन्होंने विश्वास मजबूत करने के तीन तरीके बताए – अनुभव, तर्क और प्रमाण।

शिक्षा में सुधार- पुनर्जागरण के काल में शिक्षा में बड़ी सुधार हुआ। यूरोप में नए विद्यालय और विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई और ग्रीक-लैटिन साहित्य की पढ़ाई में वृद्धि हुई। स्पेन के विश्व प्रसिद्ध कार्डोवा विश्वविद्यालय ने यूरोप में नवीन विचारों का प्रचार-प्रसार किया। अनेक साहित्यकार दांते, पेट्रोक, थॉमस मुरे आदि अनेक विद्वानों ने प्राचीन ग्रंथों का अनेक भाषाओं में अनुवाद किया

कला में नया दृष्टिकोण- पुनर्जागरण ने कला में एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया। यह कला क्षेत्र में रीसनेंस कला की शुरुआत को लेकर आए, जिसमें उत्कृष्टता, प्राकृतिकता, और मानवता के मौद्रिक दृष्टिकोण को प्रमोट किया गया। इस काल में चित्रकार, मूर्तिकार, स्थापत्यकार, गणितज्ञ, दार्शनिक, वनस्पति विज्ञानी, भूगर्भ शास्त्री, मानव शरीर के ज्ञाता आदि विद्वान उभरकर सामने आए। माइकल एंजेलो एक चित्रकार, मूर्तिकार, इंजीनियर और कवि थे। उसने रोम के सिस्टाइन गिरजाघरों की भीतरी छत पर बाइबिल के दृश्यों का चित्रांकन किया था, जो आज भी विस्मय से भरा हुआ है।  1541 में इसी चर्च की दीवार पर बना उसका चित्र “लास्ट जजमेंट” जिसे पूरा करने में उसे 8 वर्ष लग गए थे, एक श्रेष्ठतम चित्र है।

धार्मिक और मानवता की प्रधानता – पुनर्जागरण के काल में धार्मिक और मानवता के मौद्रिक दृष्टिकोण में सुधार हुआ। यह एक नये धार्मिक चिंहित विचारधारा को प्रेरित करता है जिसमें मानवता की महत्वपूर्णता को मान्यता मिलती है।

भाषाएँ और साहित्यिक प्रगति- भाषाओं में विकास हुआ और साहित्य के क्षेत्र में नए लेखकों का उदय हुआ। ग्रीक और लैटिन के अलावा अन्य भाषाएँ भी साहित्यिक उत्पत्ति में योगदान देने लगीं।

इन सभी प्रमुख विशेषताओं के साथ, पुनर्जागरण ने यूरोप में एक नए सांस्कृतिक, आर्थिक, और सामाजिक युग की शुरुआत की और इसने दुनिया को नई दिशाओं में बदला।

निष्कर्ष –

पुनर्जागरण काल (या रीनैसांस) एक सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का काल था जो 14वीं से 17वीं सदी के बीच यूरोप में हुआ। इस काल में समाज, कला, विज्ञान, और साहित्य में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ और यह एक नए मानवतावाद,  मानव, और आत्म-प्रतिष्ठान का काल बनाया। सर्वप्रथम, पुनर्जागरण ने रोमन और ग्रीक साहित्य, कला, और विज्ञान की पुनर्जागरूक्ति की। यह नए ग्रंथ, रचनाएं, और विचार लाए, जिनसे विज्ञान और कला में नए सिद्धांत विकसित हुए।

दूसरे शब्दों मे, यह एक नए मानवतावाद की शुरुआत थी जिसमें मानव स्वतंत्रता, अध्यात्मिकता, और व्यक्तिगत स्वाधीनता को महत्वपूर्ण माना गया। यह सामाजिक और राजनीतिक संगठन में परिवर्तन लाए और राष्ट्रियता और नागरिक समाज की अवधारणा में वृद्धि हुई। इसके अलावा, रीसनेंस ने शिक्षा में वृद्धि की और यूरोप में विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई। इससे विशेषज्ञता की प्रोत्साहना हुई और नए विचारों का निर्माण हुआ। इस तरह, पुनर्जागरण काल ने यूरोप को एक नए सांस्कृतिक, आर्थिक, और रूपरेखा में परिवर्तित किया, जिससे आधुनिक यूरोप की नींव रखी गई।

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