#1. ब्राम्ही लिपि को सर्वप्रथम किसने पढ़ा ?
ब्राम्ही लिपि भारत की सबसे प्राचीन लिपि है. यह बांये से दायीं ओर लिखी जाती है. सर्वप्रथम १८३७ ई में जेम्स प्रिन्सेप ने इस लिपि को पढ़ा था. ब्राम्ही लिपि का उत्कृष्ट उदाहरण अशोक के शिलालेखों में देखने को मिलता है.
#2. ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिन्हों का उपयोग किया जाता है, उसे कहा जाता है -
लिपि का शाब्दिक अर्थ होता है- लिखित या चित्रित करना. ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिन्हों का उपयोग किया जाता है, उसे लिपि कहा जाता है. भारत की सबसे प्राचीनतम लिपि है – ब्राम्ही, खरोष्ठी, आरमाईक, संस्कृत, तिगलिरी, देवनागरी आदि.
#3. कौन सी लिपि को भारत की प्रथम "देश भाषा" कहा गया है.
पाली लिपि को भारत की प्रथम “देश भाषा” कहा गया है. यह हिन्द – यूरोपीय भाषा परिवार की ही एक बोली है. सर्वप्रथम मौर्य सम्राट अशोक ने बौध्द धर्म के प्रचार प्रसार के लिए इस लिपि का प्रयोग किया था. तत्कालीन भारत में त्रिपिटको की रचना पाली भाषा में की गई थी. अशोक के पुत्र कुमार महेंद्र द्वारा त्रिपिट्कों (बौध्द ग्रन्थ) को लेकर श्रीलंका गए, जहाँ “दृगामनी ” के संरक्षण में थेरवाद का त्रिपिटक लिपिबध्द हुआ था.
#4. किस भाषा को देवों की भाषा कहा जाता है?
संस्कृत का अर्थ होता है – एक परिपूर्ण भाषा. संस्कृत भाषा के कुछ शव्द ब्राम्ही लिपि के आधार पर रखे गए हैं. देवनागरी लिपि को संस्कृत भाषा की लिपि माना गया है. संस्कृत भाषा को देव भाषा की संज्ञा दी गई. देवी-देवताओं की पूजा में जिन मूलमंत्रों का उच्चारण किया जाता था उसकी भाषा संस्कृत है.
#5. मोग्ग्लायन के अनुसार पाली में कुल कितनी ध्वनियां होती हैं?
मोग्ग्लायन के अनुसार पाली में कुल 43 ध्वनियां होती हैं, १० स्वर तथा 33 व्यंजन होते हैं. . उसी प्रकार कच्चायन के अनुसार -41 ध्वनियाँ, 8 स्वर, तथा 33 व्यंजन होते हैं.
#6. हिन्दी की लिपि है-
अगर किसी राज्य की भाषा हिंदी है और हिन्दी की लिपि देवनागरी होती है. उस राज्य की संस्कृत भाषा की लिपि भी देवनागरी होती है. क्योंकि देवनागरी लिपि में हर एक चिन्ह के लिए केवल एक ही ध्वनि होती है जैसे की संस्कृत भाषा में होती है.
#7. बौध्द ग्रन्थ "ललित विस्तार " में लिपियों की संख्या दी गयी है-
बौध्द ग्रन्थ “ललित विस्तार ” में लिपियों की संख्या दी गयी है- 64 . जिसमें पहला नाम ‘ब्राम्ही’ और दूसरा नाम ‘खरोष्ठी’ है.
इन 64 लिपि नामों में अधिकांश लिपि कल्पित जान पड़ते हैं. यह बाएँ से दाएं ओर लिखी जाती है.
#8. तिगलिरी लिपि कहाँ विकसित हुई-
यह लिपि ब्राम्ही का स्वरुप जो दक्षिण में विकसित हुई. तुल्लु, कन्नड़ और संस्कृत भाषा को लिखने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. कन्नड़ बोली क्षेत्र में इसे तिगलिरी और तुलु बोलने वाले लोग इसे ‘तुल्लु लिपि ‘कहते हैं.
#9. महावीर स्वामी ने जैन धर्म का प्रचार-प्रसार किस भाषा में किया था-
प्राकृत भाषा का विकास काल 500ईपू से 100 ई पु तक भाषा वैज्ञानिकों द्वारा निश्चित किया गया है. इनके व्याकरण का नाम “प्राकृत प्रकाश” है. महावीर स्वामी ने इसी प्राकृत भाषा के अर्धमागधी रूप में अपना उपदेश दिया था.
#10. "प्राकृत प्रकाश" ग्रन्थ में भाषा के कितने भाग बताए हैं-
“प्राकृत प्रकाश” ग्रन्थ में भाषा के 4 भाग बताए हैं-
1. महाराष्ट्री
2. पैशाची
3. मागधी
4. शौरसेनी
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