भारतीय साहित्य का गौरव: यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद – अंग , उपांग, विशेषताएं , जीवन में महत्व

यजुर्वेद: यजुर्वेद चारों वेदों में से एक है। यह मुख्यतः यज्ञ एवं कर्मकांड से संबंधित वेद है। इसमें मंत्रों के साथ-साथ यज्ञ की विधि, नियम और आचार की …

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भारतीय साहित्य का गौरव – ऋग्वेद- अर्थ, रचनाकाल, उपांग, मंडल, सूक्त, विशेषताएं, ऋग्वेद का आधुनिक महत्व,

भारतीय साहित्य का गौरव – ऋग्वेद 1. ऋग्वेद का अर्थ “ऋग्वेद” शब्द दो भागों से मिलकर बना है – ऋच् (ऋक) का अर्थ है स्तुति या मंत्र। वेद …

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भारतीय साहित्य का गौरव: वैदिक ग्रंथ परिचय , महत्व – वेद, वेदांग, ब्राह्मण, आरण्यक, उपनिषद और महाकाव्य का परिचय

भारतीय साहित्य का गौरव  प्रस्तावना भारत की सांस्कृतिक पहचान उसकी प्राचीन साहित्यिक परंपरा में समाहित है। भारतीय साहित्य केवल शब्दों का संग्रह नहीं, बल्कि ज्ञान, दर्शन, विज्ञान, आध्यात्मिकता …

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इतिहास का अर्थ, परिभाषा, एवं प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के प्रमुख स्रोत

इतिहास का अर्थ, परिभाषा, एवं प्राचीन भारतीय इतिहास जानने के प्रमुख स्रोत – सामान्य परिचय– इतिहास एक अनुशासन है जो अतीत की घटनाओं, विचारों, समाजों, और व्यक्तियों के …

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प्राचीन भारत का इतिहास: महत्वपूर्ण पारिभाषिक शब्दावली

पारिभाषिक शब्दावली एवं  उनके अर्थ   1.जम्बूद्वीप – भारतवर्ष का सर्वाधिक प्राचीन नाम जम्बूद्वीप के नाम से जाना जाता है। 2.अघन्या – वैदिक काल में वध न की जाने …

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हड़प्पा / सिंधु सभ्यता से समबंधित अति महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर सीरीज

हड़प्पा सभ्यता कब स्थापित हुई थी?उत्तर: सन् 3300 ईसा पूर्व एवं कार्बन 14 पद्धति के अनुसार सर्वाधिक मान्य तिथि – 2300-1750 ई पू। हड़प्पा सभ्यता का सबसे प्रमुख …

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प्राचीन भारत का इतिहास : अभिलेखशास्त्र का परिचय (महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर)सीरीज

प्राचीन भारत का इतिहास  : अभिलेखशास्त्र का परिचय (महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर)सीरीज – प्र. 1. अभिलेखशास्त्र कहा जाता है- उत्तर- अभिलेख संबंधी अध्ययन को । प्र. 2. अभिलेख का सबसे …

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भारत में कठपुतली और मुखौटा प्रदर्शन

भारत में कठपुतली और मुखौटा प्रदर्शन   भारत में कठपुतली और मुखौटा प्रदर्शन पारंपरिक कला के रूप हैं जिनका एक लंबा और समृद्ध इतिहास है। कलात्मक अभिव्यक्ति के …

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कौटिल्य की षाड्गुण्य नीति का वर्तमान में उपयोगिता

कौटिल्य की षाड्गुण्य नीति का वर्तमान में उपयोगिता – प्रस्तावना- एतिहासिक स्रोतों से ज्ञात होता है कि आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व तत्कालीन तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य …

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प्राचीन भारत में उत्पादित मोटे अनाजों (श्री अन्न) का वर्तमान में महत्व एवं उपयोगिता

प्राचीन भारत में उत्पादित मोटे अनाजों (श्री अन्न) का वर्तमान में महत्व एवं उपयोगिता सारांश – प्राचीन भारत में लगभग 5000 वर्ष पूर्व से उगाए जाने वाले मोटे …

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