पुर्तगाली शक्ति के पतन के कारण# decline of Partugese
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पुर्तगालियो के पतन के निम्नलिखित कारण थे-
1.- धार्मिक अत्याचार – पुर्तगालियो ने नृशंस धार्मिक अत्याचार किये ।उन्होने मंदिरो और मस्जिदो को नष्ट कर दिया और बलपुर्वक हिंदुओ और मुसलमानो को ईसाई बनाया।
2.- प्रतिशोध पूर्णनीति – पुर्तगालियो के सम्बंध अत्याचारपूर्ण प्रतिशोध की नीति पर आधारित थे। वास्कोडिगामा, केब्राल तथा अन्य पुर्तगाली अधिकारियो ने स्थानीय शासको को उत्तेजित किया और उन्हे अपमानित किया।
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3.- दोषपूर्ण शासन व्यवस्था – पुर्तगाली शासन व्यवस्था अत्यंत दुर्बल तथा भ्रष्टाचारपूर्ण थी । अधिकारियो का नैतिक स्तर भी निम्न कोटि का था । वे इतने भ्रष्ट थे कि केवल व्यक्तिगत स्वार्थो की पूर्ति के लिये कार्य करते थे ।धन -लोलुप्ता के साथ -साथ वे अहंकारी और अत्याचारी थे।
4.- पर्याप्त स्थल व जल सेनाओ का अभाव – पुर्तगालियो की साम्राज्यवादी नीति का आधार सुदृढ नही था। उनके पास स्थल सेना का अभाव था, अत: अधिकृत क्षेत्रो पर उनका प्रभावी नियंत्रण स्थापित नही हो सकता था। उनके पास शक्तिशाली नौ सेना का भी अभाव था। जब शक्तिशाली अंग्रेजी और डच नौ-सेना का उत्थान हुआ तो वे उनका सामना नही कर सके।
5.- दूषित व्यापारिक नीति – पुर्तगालियो का उद्देश्य व्यापार पर अपना एकाधिकार स्थापित करना था। वे किसी प्रतिस्पर्धी को सहन करने को तैयार नही थे । इसके अतिरिक्त पुर्तगाली व्यापार को राज्य द्वारा आरम्भ किया गया था और उस पर राज्य का नियंत्रण था,अत: पुर्तगाली अधिकारी व्यापार की अपेक्षा अपने व्यक्तिगत लाभो पर अधिक ध्यान देते थे। वे समुद्र तट पर दूसरे जहाजो को लूट लेते थे । इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि अन्य व्यापारिक द्वारा पुर्तगालियो से व्यापार बंद कर दिया
6.- द्क्षिण में मुगल साम्राज्य का विस्तार – दक्षिण में मुगल साम्राज्य के विस्तार होने से भी पुर्तगालियो की स्थिति दुर्बल हो गई । जब वे मालाबार तट पर आये थे, उस समय वहाँ छोटे-छोटे राज्य थे जिनके पारस्परिक विवादो से लाभ उठा कर उन्होने अपनी शक्ति की स्थापना की थी। यहाँ तक कि विजयनगर व बहमनी साम्राज्य भी उनका विस्तार नही रोक सके। मुगल साम्राज्य के विस्तार से अब वे स्थानीय विवादो से लाभ नही उठा सकते थे।शाहजहाँ द्वारा उन्हे दंडित किया गया और उनसे हुबली छीन लिया गया।मराठा शक्ति के उत्थान से पश्चिम तट पर उनका विस्तार रुक गया।
7.- ब्राजील का प्रभाव- पुर्तगालियो द्वारा कुछ समय बाद द्क्षिण अमेरिका में ब्राजील की खोज कर ली गई ब्राजील प्राप्त होने के बाद पुर्तगालियो को भारत में रुचि नही रही। अब उन्होने ब्राजील पर अपनी आर्थिक और सैनिक शक्ति केंद्रित कर ली ।
8.- पुर्तगाल पर स्पेन का अधिकार – 1580 ई. में स्पेन ने पुर्तगाल पर अधिकार स्थापित कर लिया। इससे पुर्तगाल की राजनैतिक और व्यापारिक स्वतंत्रता नष्ट हो गई और भारत में उसके हितो की उपेक्षा हुई।इसके अन्य दूरगामी परिणाम भी हुए।
9.- अन्य यूरोपीय शक्तियो का भारत में आगमन- भारत में डच, फ्रेंच, और अंग्रेजो के आगमन से भी पुर्तगाली शक्ति का पतन निश्चित हो गया। इन देशो के अधिकारी पुर्तगालीयो की अपेक्षा अधिक अनुशासित,योग्य और कूट्नीतिज्ञ थे।
10.- पुर्तगालियो का नैतिक ह्रास- जब पुर्तगाली भारत आये थे, वे साहस, महत्वाकांक्षा तथा देशभक्ति की भावनाओ से प्रेरित थे। लेकिन उनके इन गुणो का क्रमश: ह्रास हो गया। नाविक शक्ति के अहंकार के कारण अब समुद्र पर उनका व्यवहार लुटेरो जैसा हो गया था। उन्होने स्थल पर नागरिको तथा समुद्र पर अन्य जहाजो का उत्पीड्न करना आरम्भ कर दिया।
निष्कर्ष- उपरोक्त विवरण से ज्ञात होता है कि पुर्तगाली जब भारत आए थे तब व्यापारिक उद्देश्यो की पूर्ति को केंद्रित कर रखा था लेकिन बाद में अपनी नीतियो एवम व्यवस्थाओ के कारण अन्य शक्तियो के सामने टिक नही पाए और असफल हो गये।