तृतीय कर्नाटक युध्द – (1756 – 63 ) – Third Karnatka War- (1756 – 63 ) –

तृतीय कर्नाटक युध्द   – (1756 – 63 ) –

कारण- 

-यूरोप में फ्रांस और ब्रिटेन के बीच सप्तवर्षीय युध्द्। फ्रांस ने आस्ट्रिया को तथा ब्रिटेन ने प्रशा को समर्थन दिया था।

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स्वरूप- 

-1757 ई. में फ्रांस द्वारा काउंट – डी- लैली को भारत भेजा। 

– लैली 1758 में फोर्ट सेंट डेविड पर अधिकार कर लिया । लैली मद्रास और तंजौर पर अधिकार करना चाहता था लेकिन सफल नही हो सका।

– 1760 में अंग्रेजी सेना ने सर आयरकूट के नेतृत्व में वांडीवाश की लड़ाई में फ्रांसीसियो को बुरी तरह परास्त कर दिया।

– 1761 में अंग्रेजो ने पांडिचेरी को छीन लिया इसके पश्चात जिंजी तथा माही पर भी अधिकार कर लिया।

– 1763  में पेरिस की संधि द्वारा यह युध्द समाप्त हुआ।

– चंद्रनगर को छोड़कर शेष अन्य प्रदेश जो फ्रांसीसियो के अधिकार में 1749 तक थे वापस कर दिया और यह क्षेत्र भारत के स्वतंत्र होने तक इनके पास बने रहे।

फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी के पराजय के कारण  –

1. -अत्यधिक महत्वकांक्षा- 

      फ्रांस अत्यधिक महत्वाकांक्षी के कारण यूरोप में इटली  बेल्जीयम तथा जर्मनी तक बढाने का प्रयत्न  कर रहा था और भारत के प्रति उतना गम्भीर नही था।

2. संरक्षण की दृष्टि में अंतर –

    दोनो कम्पनियो में गठन तथा संरक्षण की दृष्टि में काफी अंतर था फ्रांसीसी कम्पनी जहाँ पूर्ण रूप से राज्य पर निर्भर थी वही ब्रिटिश कम्पनी व्यक्तिगत स्तर पर कार्य कर रही थी।

3. कमजोर नौसेना शक्ति- 

    फ्रांसीसी नौ सेना अंग्रेजी नौसेना की तुलना में काफी कमजोर थी। 

4. मजबूत आर्थिक स्थिति – 

       भारत में बंगाल पर अधिकार कर अंग्रेजी कम्पनी ने अपनी स्थिति को आर्थिक रूप से काफी मजबूत कर लिया था, दूसरी ओर फ्रांसीसियो को पांडीचेरी से उतना लाभ कदापि नही हुआ जितना अंग्रेजो को बंगाल से हुआ। 

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