17वी -18वी शदी. के दौरान भारत में व्यापारिक यूरोपीय शक्तियो का आगमन

17वी शताब्दी के दौरान भारत विदेश- व्यापार का एक ऐसा आकर्षण केंद्र बन गया था, जिससे हर विदेशी राष्ट्र व्यापार कर उस पर अपना आधिपत्य जमाने को आतुर था।भारत उस समय औद्योगिक माल के उत्पादन में एक अग्रणी  राष्ट्र था। यहा का उच्च कोटि का सूती व रेशमी कपडा, मसाले ,नील, शक्कर,औषधिया एवम बहुमूल्य रत्न किसी भी राष्ट्र को लालायित करने के लिये काफी था। मध्य युग में भारत का यूरोप से व्यापार विभिन्न मार्गो से होता था-

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1. उत्तरी मार्ग.                                                           

2. मध्यवर्ती मार्ग.

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3. दक्षिणी मार्ग.

यूरोपीयो का भारत आने का उद्देश्य- 

चूंकि भारत का प्राचींकाल से ही व्यापारिक महत्व था. अत: जब 16वी शताब्दी में जब यूरोप और भारत के बीच पारम्परिक मार्ग अवरुध्द  हो गये ,तो यूरोप के व्यापारी नवीन मार्गो से भारत पहुंचने का प्रयास करने लगे , यूरोपीयो का भारत आने का मुख्य उद्देश्य भारत से व्यापारिक सम्बंधो को बनाये रखना तथा भारत -यूरोप व्यापारिक स्थिती को और अधिक विकसित करना था।

यूरोपियो का भारत आगमन-

1. पुर्तगाली- 1498ई.

2. डच -1602ई.

3. अंग्रेज – 1600 ई.

4.डेनिश -1616ई.

5.- फ्रांसीसी -1664ई. 

भारतीय उपमहाद्वीप पुर्तगाली-

1. वास्कोडिगामा 1498ई. में उत्तमाशा अंतरीप द्वीप होते हुये भारत में मालाबार तट पर स्थित प्रसिध्द बंदरगाह कालीकट पर पहुंचा।

2. प्रथम पुर्तगाली गवर्नर भारत में अल्मीडा (1500-09ई) था।

3. भारत में पुर्तगाली शक्ति की महत्वपूर्ण आधारशिला अल्फांसो-दी- अल्बूकर्क ने डाली।

4.प्रेस की स्थापना भारत में सर्वप्रथम पुर्तगालियो द्वारा ही की गई।

5.- भारत में तम्बाकू का परिचय पुर्तगालियो ने ही कराया।

6.- 1961ई. तक पुर्तगालियो का गोआ ,दमन और दीप पर अधिकार हो गया था।

भारत में डच –

1. – 1596 ई.  में हस्तमान ने केप आफ द गुड होप  पार किया, वह केप आफ द गुड होप पार करने वाला प्रथम डच था।

2.- डच ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 1602ई. में की गई।

3.-1690 ई. से पूर्व तक डचो का मुख्य पुलीकट था, इसके पश्चात मुख्य केंद्र नागपट्नम हो गया।

4.- वेदरा के युध्द में अंग्रेजो ने 1759ई. डचो को हराकर उनकी शक्ति को समाप्त कर दिया ।

भारत में अंग्रेज-

1.- 31 दिसम्बर ,1600ई. मे अंग्रेजो ने महारानी एलिजाबेथ से व्यापारिक आज्ञापत्र लेकर भारत में ईस्ट ईंडिया कम्पनी की स्थापना 15 वर्षो के लिये की।

2.- 1608 ई. कप्तान हाकिंस जहाँगीर के दरबार में आया।

3. 1613 ई. सूरत में अंग्रेजो की व्यापारिक कोठी की स्थापना हुई।

4. –1615 ई. में सर टामस रो व्यापारिक सुविधाए प्राप्त करने जहंगीर के दरबार में गया तथा वहाँ तीन वर्ष रहा।

5.- 1639ई. में मद्रास में एक सुदृढ किले का निर्माण किया गया।

6. 1661ई. में बम्बई पर अधिकार कर लिया।

7.- 1686ई. तक बंगाल स्थित कलकत्ता पर व्यापारिक कम्पनी की स्थापना कर ली गई।

8.- अंग्रेज- फ्रांसीसी संघर्ष 1663ई. तक चलता रहा।

भारत में डेनिश-

1. – 1616ई. में डेनिश का आगमन ।

2.-ट्रावंकोर एवम श्रीरंग्पट्नम को व्यापारिक केंद्र बनाया।

3.- डेनिश व्यापारियो ने अपने व्यापारिक केंद्र अंग्रेजो को बेंच कर वापस डेनमार्क चले गये।

भारत में फ्रांसीसी- 

1.- 1664 ई. में स्थापित फ्रांसीसी कम्पनी का मूल नाम ‘द इंड ओरिएंटल’ था।

2.- इनकी भारत में प्रथम कोठी फ्रेको कैरो द्वारा सूरत में सन 1664ई. को स्थापित हुई। 

3 वांडीवाश के युध्द में 1760ई. में फ्रांसीसी अंग्रेजो के द्वारा बुरी तरह पराजित हुये तथा उनकी सत्ता समाप्त हो गई।

अंग्रेजो की सफलता के कारण- 

1.- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की आत्मनिर्भरता व प्रबल आत्मविश्वास्।

2.- अंग्रेजो की श्रेष्ठ नै सैनिक शक्ति।

3.- नौ सैनिक अड्डे व शक्तिशाली जहाजी बेडे।

4.- अंग्रेजो के उच्च कोटि के किलेबंदी व कारखाने।

5.- बंगाल की उपजाऊ भूमि में कब्जा।

6.- सुदृढ आर्थिक दशा।

7.- उत्तम सेना नायक ।

8. बेहतर राजकीय प्रोत्साहन एवम कूट्नीतिक चाले। 

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