#1. "कर्म में ही तुम्हारा अधिकार हो, फल में नहीं" इस कथन का तात्पर्य है -
भगवतगीता भारतीय विचारधारा के इतिहास में हिन्दुओं का सबसे पवित्र ग्रन्थ माना जाता है. गीता की शिक्षा का केंद्रबिंदु उसका कर्मयोग का सिद्धांत है. प्रत्येक कार्य कोई न कोई फल प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है. लेकिन फल प्राप्ति को ध्यान में रखकर अर्थात फल प्राप्ति के उद्देश्य से किया गया “कर्मयोग” की कोटि में नहीं आता . गीता में निष्काम कर्म अर्थात बिना फल की इच्छा के किया गया कार्य कर्मयोग कहलाता है. इसलिए गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है – “कर्म में ही तुम्हारा अधिकार हो, फल में नहीं”.
#2. गीता में कुल कितने अध्याय एवं श्लोक हैं-
गीता में कुल 18 अध्याय 700 श्लोक अध्याय एवं श्लोक हैं.
#3. भगवद गीता का अंग्रेजी अनुवाद किसने और कब किया गया था-
#4. राम ने पिता की आज्ञानुसार कितने वर्ष का वनवास किया था -
वाल्मीकि ने राम के चरित्र का महत्त्व बताते हुए श्री राम के उत्तम व आदर्श चरित्र का वर्णन किया है. यही भारतीय शौर्य की नैतिक परम्परा को इंगित करता है. राम द्वारा पिताकी आज्ञा मात्र के पालन हेतु 14 वर्ष की लम्बी अवधि का वनवास स्वीकार करना उनकी पितृ भक्ति का उच्च आदर्श प्रस्तुत करता है. उन्होंने भारतीय समाज के समक्ष माता, पिता, भाई, पत्नी, मित्र, शत्रु के साथ उचित व्यवहार का सर्वोच्च आदर्श प्रस्तुत किया है. इस प्रकार राम का चरित्र भारतीय सभ्यता व् संस्कृति के लिए उच्च नैतिक शौर्य की परम्परा प्रस्तुत करता है.
#5. रामायण कितने कांडों में विभक्त है-
रामायण -बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्य काण्ड, किष्किन्धा काण्ड, सुन्दर कांड, युद्ध काण्ड, तथा उत्तर काण्ड = 07 कांडों में विभक्त है.
#6. "चतुर्विंशति साहस्त्री संहिता" कहा जाता है -
वाल्मीकि कृत रामायण में मूलत:6००० श्लोक थे, जो बाद में 12,000 हुए फिर 24,000हो गए. इसकी संभवत:5वीं शदी ई पू में आरंभ हुई. और लगभग 12 वीं सड़ी तक चलती रही. इस लिए रामायण को “चतुर्विंशति साहस्त्री संहिता” कहा जाता है.
#7. महाभारत का रचना काल माना जाता है-
10 वी सदी ई पू से चौथी सदी ई.तक. महाभारत का रचना काल माना जाता है. पहले इसमें मात्र 8800श्लोक थे और इसका नाम “जयसन्हिता” था. बाद में इसमें श्लोक संख्या बढाकर २४००० हो जाने पर भारत” नाम से प्रसिद्ध हुआ. क्योंकि इसमें वैदिक कालीन “जन” भरतके वंशजों की कथा का वर्णन है. कालांतर में इसमें एक लाख श्लोक हो गए और ‘शत सहिस्त्रीसंहिता’ या ‘महाभारत’ कहा जाने लगा.
#8. महाभारत में कुल कितने पर्व हैं -
महाभारत में कुल पर्व (अध्याय) -18 हैं .
- आदि पर्व
- सभापर्व
- वन पर्व
- विराट पर्व
- उद्योग पर्व
- भीष्म पर्व
- द्रोण पर्व
- कर्ण पर्व
- शल्य पर्व
- सौप्तिक पर्व
- स्त्री पर्व
- शांति पर्व
- अनुशासन पर्व
- अश्वमेघ पर्व
- आश्रमवासी पर्व
- मौसल पर्व
- महाप्रस्थानिक पर्व
- स्वर्गारोहण पर्व सम्मिलित हैं इसके अलावा खल पर्व है जिसमें श्री कृष्ण वंश की कथा का वर्णन है.
#9. "गीता रहस्य " नामक ग्रन्थ का सृजन किया था-
“गीता रहस्य ” नामक ग्रन्थ का सृजन किया था- भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रमुख प्रणेता बाल गंगाधर तिलक. उनका मत था किगीता का केवल दार्शनिक और शैक्षिक मूल्य नहीं . व्यावहारिक जीवन में उसकी उपयोगिता अत्यंत ही ऊचा है.जो राष्ट्र के विकास और सांस्कृतिक निर्माण में अहम् भूमिका निभाते हैं.