#1. भौगोलिक दृष्टि से भारत को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है?
4 प्राकृतिक भाग हैं – 1. उत्तर का पर्वतीय प्रदेश 2. गंगा तथा सिंधु का उत्तरीय मैदान 3. मध्य भारत और दक्षिण का पठार 4. सुदूर दक्षिण के समुद्र तटीय क्षेत्र
#2. भारत का कुल क्षेत्रफल है-
भारत का कुल क्षेत्रफल है- 32,87,263 वर्ग किलोमीटर। इसके मध्य से कर्क रेखा गुजरती है। उत्तर तक यह 3,214 किलोमीटर और परब से पश्चिम तक 2,933 किलोमीटर तक विस्तृत है। विष्णुपुराण में इसका उल्लेख है- समुद्र के उत्तर में तथा हिमालय के दक्षिण में जो स्थित है। वह भारत देश है तथा वहाँ की संताने भारतीय हैं।
#3. डा गुहा ने भारत के निवासियों को कितनी प्रजातियों में बाँटा है-
गुहा के अनुसार 6 जातिया हैं- 1. नेग्रिटो या नीग्रो 2. प्रोटो-आस्ट्रेलियाड 3. मँगोलियाड 4. मेडेटेरियन प्रजाति 5. ब्रेचीसेफल वर्ग 6. नार्डिक
#4. भरत वंश के राजा थे-
हिन्दू मान्यतानुसार भारतवर्ष में पौरव वंश के राजा भरत के नाम पर भारतवर्ष कहा गया तथा यहाँ रहने वाले लोग भारत की संतति कहे जाने लगे। जैन मान्यतानुसार जिस भरत के नाम पर भारतीय उपमहाद्वीप का नाम पड़ा वे प्रथम तीर्थंकर थे।
#5. जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे-
ऋषभ देव जैन धर्म के संस्थापक अथवा प्रथम तीर्थंकर थे। उनकी मान्यतानुसार पौरव वंश के राजा दुष्यंत के पुत्र न होकर ऋषभ देव के पुत्र भरत थे जिनके नाम पर भारत वर्ष नाम पड़ा।
#6. परंपरा को अंग्रेजी में कहा जाता है-
tradition = परंपरा
#7. योग शब्द संस्कृत के किस धातु से बना है-
‘योग’ शब्द संस्कृत धातु ‘युज’ से निकला है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत चेतना या आत्मा का सार्वभौमिक चेतना या रूह से मिलन । योग विद्या द्वारा मानसिक तनाव, चिंता, एवं शारीरिक रोगों से मुक्ति का मार्ग बताया गया है।
#8. आत्म दीपों भव का अर्थ है-
महात्मा बुद्ध के दर्शन में कहा गया है मनुष्य को स्वयं को ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित होकर ही विश्व कल्याण के मार्ग पर अग्रसित होना चाहिए ।
#9. "सिद्धांत शिरोमणी" किसकी रचना है -
-सिद्धांत शिरोमणी भास्कराचार्य की रचना है, जिसमें पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल पर जानकारी प्रदान की गई है। उन्होंने कहा है कि “किसी स्थान पर भारी और हल्की वस्तु पृथ्वी पर छोड़ी जाए तो दोनों समानकाल में पृथ्वी पर गिरेगी।
#10. सर्व प्रथम ऋतु माना जाता है-
बसंत ऋतु को सर्वप्रथम ऋतु माना जाता है। तैतत्रीय संहिता में 12 महीनों का वर्णन है।
#11. "आर्यभट्टीयम" के रचीयता हैं-
आर्यभट्ट प्रथम ने आर्यभट्टीयम की रचना की। इनका जन्म लगभग 476 ई में पटलीपुत्र में हुआ था जो एक विश्वप्रसिद्ध खगोलविज्ञानी थे। उन्होंने सूर्यसिद्धांत का प्रतिपादन किया था। और यह सिद्ध किया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और सूर्य स्थिर है। आर्यभट्टीयम ग्रंथ में 18 अध्याय हैं।
#12. आर्यभट्ट प्रथम का जन्म कब हुआ था?
आर्यभट्ट का जन्म शक संवत 476 ई को पटलीपुत्र में हुआ था। ज्योतिष पर अपने सिद्धांतों का प्रतिपादन करने वाले प्रमुख ज्ञात वैज्ञानिक आर्यभट्ट ही थे।
#13. "ब्रम्हास्फुट सिद्धांत" किसकी रचना है-
ब्रम्हा गुप्त एक ज्योतिषी के साथ-साथ एक गणितज्ञ भी थे। इनका जन्म पंजाब के भीलनालका नामक स्थान में सं 598 ई में हुआ था। उन्होंने आर्यभट्ट के सिद्धांत की आलोचना की तथा पृथ्वी को स्थिर माना। उनकी दो क्रमश: रचनाएं ब्रम्हास्फुट सिद्धांत व खंड खाद्य है।
#14. भास्कराचार्य का जन्म हुआ था-
भास्कराचार्य का जन्म 1114 ई में हुआ था। इन्होंने 1150 ई में सिद्धांत शिरोमणी की रचना की। तथा उसे 4 भागों में बाँटा- 1. पाटी गणित या लीलावती 2. बीजगणित 3. गोलाध्यक्ष 4. ग्रहगणित ।
#15. भास्कराचार्य ने अपने अंतिम समय में कौन से ग्रंथ की रचना की-
“करण कौतूहल” उनकी अंतिम समय की रचना थी। जिसमें इन्होंने पंचांग बनाने के तरीके लिखे हैं।
#16. वराहमिहिर ने ग्रह और नक्षत्रों का वैज्ञानिक ढंग से विवेचन किया है-
“वृहज्जातक” में वराहमिहिर ने ग्रहों एवं नक्षत्रों का वैज्ञानिक ढंग से विवेचन किया है। इसकी रचना उन्होंने उज्जैनी में रहकर की। उन्हे चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार में 9 रत्नों में शामिल किया गया था।
#17. लल्लाचार्य थे-
लल्लाचार्य गणित, जातक एवं संहिता तीनों स्कंधों में पूर्ण प्रवीण थे। इनका जन्म शक संवत 421 में हुआ था। पिता का नाम भट्टरी विक्रम, पितामह का नाम शांब और गुरु का नाम आर्यभट्ट प्रथम था।
#18. वराहमिहिर की कौन सी रचना के 14 वें अध्याय में भारतीय भूगोल का दिग्दर्शन मिलता है-
वृहत संहिता के 14 वें अध्याय में भारतीय भूगोल का दिग्दर्शन मिलता है।
#19. बल्लाल सेन किस राजा के पुत्र थे-
बलाल सेन सेन शासक लक्ष्मण सेन के पुत्र थे जो खगोल विज्ञान में अद्भुत रुचि रखते थे।
#20. बल्लाल सेन की रचना थी -
बल्लाल सेन की रचना अद्भुतसागर है। जो खगोलशास्त्र के विषय में ऐतिहासिक जानकारी प्रदान करता है।
#21. भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कितने नक्षत्रों का वर्णन है-
चंद्रमा के गति के आधार पर 27 नक्षत्र माना गया परंतु भारतीय ज्योतिष विज्ञान में 28 वां “अभिजीत” नक्षत्र को माना गया है। वैदिक काल में इसकी गणना होती थी। इसे समस्त कार्यों में शुभ माना जाता है।
#22. नक्षत्रों की आकृति के आधार पर समस्त नक्षत्र मण्डल को कितनी राशियों में बांटा गया है-
नक्षत्रों की आकृति के आधार पर समस्त नक्षत्र मण्डल को 12 राशियों में बांटा गया है- मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क ,सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ, मीन
#23. काल विभाजन में क्रमश: कल्प-मन्वन्तर-युग-के बाद कौन सा कालक्रम का स्थान है-
संवत्सर का स्थान । काल विभाजन में क्रमश: कल्प-मन्वन्तर-युग-के बाद संवत्सर युग कालक्रम का स्थान है। संवत्सर की उत्पति वर्ष गणना के लिए होती है।
History