इतिहास के आइने में सिनौली और प्राचीन भारत के इतिहास में उसका महत्व –Sinauli in the mirror of history and its importance in the history of ancient India –

इतिहास के आइने में सिनौली और प्राचीन भारत के इतिहास में उसका महत्व –

वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय पटल पर प्रस्तुत किए जाने की तैयारी की जा रही है। डिस्कवरी प्लस पर वेब सीरीज “ सीक्रेट आफ सिनौली- डिस्कवरी आफ द सेंचुरी” के माध्यम से सिनौली के इतिहास को बताया जा रहा है। जिसमे अभिनेता मनोज वाजपेयी के द्वारा इसका चित्रण किया जायेगा।इस कारण  इतिहास विषय के विद्यार्थियों तथा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इससे सम्बंधित प्रश्नो को पूछे जाने की सम्भावना बढ़ जाती है। तो जानिये सुनौली रहस्यमयी तथ्यों  को इतिहास के आईने में ……….

वर्तमान भारत में सुनौली की स्थिति –

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सुनौली भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में अवस्थित है। यह राज्य बागपत जनपद की बड़ौत तहसील के अंतर्गत आता है। यह गंगा और यमुना नदी के दोआब क्षेत्र मे होने के कारण यहा प्राचीनतम सभ्यता के साक्ष्य प्राप्त हुए है। पुरातात्विक दृष्टि से सुनौली का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सर्वप्रथम खोज –

सबसे पहले सन 2005 में सुनौली को पुरातात्विक दृष्टिकोण से खोजा गया था। जिसके अंतर्गत लगभग 3800 से 4000 वर्ष पूर्व के साक्ष्य प्राप्त हुए थे जो कि सिंधु सभ्यता अथवा हड़प्पा सभ्यता के समय के कब्रगाह के साक्ष्य थे। इसके अलावा चित्रित धूसर मृदभांड संस्कृति, कुषाण, गुप्त और राजपूत सभ्यताओं के प्रमाण इस जिले में मिलते रहे ।

सन 2018 में भारतीय पुरातत्व विभाग के महा निदेशक डा. संजय मंजुल के अनुसार उत्खनन में प्राचीन रथ जो कि योध्दा के साथ उसके रथ और शस्त्रों को भी अंतिम संस्कार के समय दफनाने का उल्लेख किया है। इसके अलावा खुदाई में शाही ताबूत, प्राचीन रथ, महिला का कंकाल के पास जिस पर कापर का शीशा और हड्डियों से बना कन्घा, 117 मानव कंकाल, धनुष और तांबे की तलवार और मृदभांड मिलने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

उपरोक्त साक्ष्यो को कार्बन डेटिंग पध्दति के द्वारा इनके काल का निर्धारण किया गया है। जिसके आधार पर इन्हे महाभारत काल से जोड़ा जा रहा है।

यहां पर घोड़े के साक्ष्य अभी तक प्राप्त नही होने से इसे वैदिक काल से नही जोडा जा सकता।

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