भारतीय पुनर्जागरण क्या है?, अर्थ, विशेषताएं , प्रमुख कारण, प्रमुख व्यक्तिव

भारतीय पुनर्जागरण क्या है?

भारतीय पुनर्जागरण (Indian Renaissance) वह काल है जिसमें भारत ने सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक स्तर पर जागरण पाया। यह दौर मुख्यतः 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से 19वीं शताब्दी तक माना जाता है, जब भारत में पश्चिमी शिक्षा, आधुनिक विज्ञान, मुद्रण, सुधार आंदोलनों और स्वतंत्रता की चेतना का प्रसार हुआ।
इस काल में परंपराओं की समीक्षा हुई, अंधविश्वासों का विरोध किया गया और सामाजिक सुधारों की दिशा में कदम उठाए गए।

 

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पुनर्जागरण का अर्थ:

पुनर्जागरण” शब्द दो भागों से मिलकर बना है –

  • पुनः = फिर से / नये रूप में
  • जागरण = चेतना / जागरूकता

 इस प्रकार, “पुनर्जागरण” का अर्थ है – पुरानी परंपराओं, ज्ञान और मूल्यों को नये विचारों, तर्क और आधुनिक दृष्टिकोण के साथ पुनः जागृत करना।

पुनर्जागरण के प्रमुख कारण:

✔ अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार
✔ विज्ञान और तर्कशील सोच का आगमन
✔ मिशनरी गतिविधियों द्वारा सामाजिक समस्याओं की चर्चा
✔ भारतीय नेताओं और चिंतकों का जागरण
✔ मुद्रण प्रेस द्वारा साहित्य, पत्र-पत्रिकाओं का प्रसार
✔ सामाजिक कुरीतियों – सती प्रथा, बाल विवाह आदि – के खिलाफ आंदोलन
✔ राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता की भावना का उदय

विस्तारपूर्वक –

 पुनर्जागरण के प्रमुख कारण

1. अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार

  • अंग्रेजों द्वारा 1835 ई. में मैकाले के शिक्षा संबंधी मिनट और 1854 का वुड्स डिस्पैच लागू होने से अंग्रेजी शिक्षा का विस्तार हुआ।
  • इसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय युवाओं को आधुनिक विज्ञान, तर्कशास्त्र, मानवाधिकार और उदारवाद के विचारों से परिचित होने का अवसर मिला।
  • उदाहरण – राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर और दयानंद सरस्वती जैसे नेताओं ने आधुनिक शिक्षा के आधार पर समाज-सुधार आंदोलनों की नींव रखी।

2. विज्ञान और तर्कशील सोच का आगमन

  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण समाज में अंधविश्वास और रूढ़ियों पर प्रश्न उठने लगे।
  • तर्कशीलता ने भारतीयों को अपने अतीत की आलोचनात्मक समीक्षा करने और नई सोच अपनाने के लिए प्रेरित किया।
  • उदाहरण – प्रार्थना समाज (आत्माराम पांडुरंग), ब्रह्म समाज (राजा राममोहन राय), और थियोसोफिकल सोसाइटी ने धार्मिक सुधार को वैज्ञानिक व तर्कसंगत आधार पर प्रस्तुत किया।

3. मिशनरी गतिविधियों द्वारा सामाजिक समस्याओं की चर्चा

  • ईसाई मिशनरियों ने भारत में शिक्षा संस्थान, अस्पताल और सामाजिक सुधार केंद्र खोले।
  • उनके प्रयासों से भारतीय समाज की कुरीतियों जैसे सती प्रथा, दासता, बाल विवाह आदि पर बहस प्रारंभ हुई।
  • उदाहरण – विलियम कैरी और अलेक्जेंडर डफ ने शिक्षा और सामाजिक चेतना फैलाने में भूमिका निभाई।

4. भारतीय नेताओं और चिंतकों का जागरण

  • भारतीय नेताओं ने सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक सुधार के लिए जनता को संगठित किया।
  • उदाहरण
    • राजा राममोहन राय ने सती प्रथा उन्मूलन में नेतृत्व किया।
    • ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।
    • दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना कर वेदों की ओर लौटने का आह्वान किया।

5. मुद्रण प्रेस और साहित्य-पत्रिकाओं का प्रसार

  • मुद्रण प्रेस ने नए विचारों के प्रसार को तेज किया। अखबार और पत्रिकाएँ सामाजिक और राजनीतिक जागरण के माध्यम बने।
  • उदाहरण
    • “सम्बाद कौमुदी” (राजा राममोहन राय),
    • “तत्त्वबोधिनी पत्रिका” (देबेंद्रनाथ ठाकुर),
    • “अमृत बाजार पत्रिका” (मोतीलाल घोष)।

6. सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आंदोलन

  • समाज में प्रचलित सती प्रथा, बाल विवाह, दहेज प्रथा, अस्पृश्यता जैसी कुरीतियों पर सुधारकों ने आंदोलन चलाए।
  • उदाहरण
    • विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह अधिनियम (1856) लागू कराने में भूमिका निभाई।
    • राजा राममोहन राय ने 1829 में सती प्रथा उन्मूलन कानून बनवाया।
    • ज्योतिबा फुले ने स्त्री-शिक्षा और शूद्रों की मुक्ति पर कार्य किया।

7. राष्ट्रवाद और स्वतंत्रता की भावना का उदय

  • आधुनिक शिक्षा और सामाजिक सुधार आंदोलनों ने राष्ट्रवाद को जन्म दिया।
  • साहित्य, इतिहास और संस्कृति के अध्ययन ने भारतीयों में गौरव और स्वतंत्रता की चेतना पैदा की।
  • उदाहरण
    • दादाभाई नौरोजी ने “Drain of Wealth Theory” द्वारा ब्रिटिश शोषण का पर्दाफाश किया।
    • बंकिमचंद्र चटर्जी के “आनंदमठ” और “वंदे मातरम्” ने राष्ट्रीय चेतना जगाई।
    • स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति और आत्मबल को विश्व स्तर पर प्रचारित कर आत्मगौरव जगाया।

इस प्रकार, भारतीय पुनर्जागरण सामाजिक सुधार, आधुनिक शिक्षा, वैज्ञानिक सोच और राष्ट्रवाद की उभरती भावना का संगम था, जिसने स्वतंत्रता संग्राम के लिए नींव तैयार की।

 

प्रमुख सुधार आंदोलन

आंदोलन उद्देश्य योगदान
ब्रह्म समाज धार्मिक सुधार, एकेश्वरवाद राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित
आर्य समाज वेदों की ओर लौटना, शिक्षा स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा प्रेरित
प्रार्थना समाज समाज में समरसता, महिलाओं का उत्थान महाराष्ट्र में कार्यरत
थियोसोफिकल आंदोलन भारतीय संस्कृति का पुनरुद्धार एनी बेसेन्ट का योगदान

प्रमुख व्यक्तित्व

नाम योगदान
राजा राममोहन राय सती प्रथा का विरोध, आधुनिक शिक्षा का समर्थन
स्वामी विवेकानंद भारतीय संस्कृति का वैश्विक प्रचार, युवाओं को प्रेरणा
ईश्वर चंद्र विद्यासागर महिलाओं की शिक्षा, विधवा विवाह का समर्थन
महात्मा गांधी सत्य, अहिंसा, सामाजिक सुधार, स्वतंत्रता आंदोलन
ज्योतिबा फुले शिक्षा और जाति व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष
बेगम रोकेया मुस्लिम महिलाओं की शिक्षा का प्रचार

 

पुनर्जागरण की विशेषताएँ

✔ समाज में शिक्षा का प्रसार
✔ महिलाओं के अधिकारों की रक्षा
✔ धर्म में सुधार और अंधविश्वासों का विरोध
✔ राष्ट्रवादी चेतना का विकास
✔ विज्ञान और तर्क पर आधारित सोच
✔ प्रेस और साहित्य का विकास
✔ नई राजनीतिक चेतना और संगठन

 

उदाहरण

सती प्रथा का उन्मूलन – राजा राममोहन राय ने सरकार से निवेदन कर इसे समाप्त कराया।
महिलाओं की शिक्षा – ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह को प्रोत्साहित कर शिक्षा के दरवाजे खोले।
स्वामी विवेकानंद का शिकागो भाषण – उन्होंने भारत की आध्यात्मिक परंपरा को विश्व मंच पर प्रस्तुत कर भारतीय गौरव को बढ़ाया।

निष्कर्ष

भारतीय पुनर्जागरण ने समाज को नई दृष्टि दी। यह केवल धार्मिक सुधार का काल नहीं, बल्कि शिक्षा, विज्ञान, सामाजिक समता, मानवाधिकार और राष्ट्रवाद का भी जागरण था। इस काल ने भारत को आधुनिकता की ओर बढ़ने का मार्ग दिया और स्वतंत्रता संग्राम के लिए मानसिक और बौद्धिक आधार प्रदान किया। आज भी पुनर्जागरण की भावना समाज में सुधार, ज्ञान और सेवा का प्रेरक स्रोत बनी हुई है। यह काल भारतीय संस्कृति और आधुनिक विकास के बीच सेतु का कार्य करता है।

 

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