राजा राममोहन राय : संक्षिप्त परिचय, एवं योगदान

राजा राममोहन राय

  1. परिचय

राजा राममोहन राय : संक्षिप्त परिचय

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   राजा राममोहन राय (1772–1833) को भारतीय पुनर्जागरण का जनक कहा जाता है। उनका जन्म 22 मई 1772 को बंगाल के हुगली जिले के राधानगर गाँव में हुआ था। वे संस्कृत, फारसी, अरबी, अंग्रेजी और बंगला जैसी भाषाओं के विद्वान थे।

    राममोहन राय ने भारतीय समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वासों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने सती प्रथा के उन्मूलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप 1829 ई. में ब्रिटिश सरकार ने सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया। उन्होंने ब्रह्म समाज (1828) की स्थापना कर एकेश्वरवाद, तर्कशीलता और मानवता का संदेश दिया।

    स्त्री शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह और समान अधिकारों के वे प्रबल समर्थक थे। उन्होंने शिक्षा में विज्ञान, गणित और आधुनिक विषयों को शामिल करने पर जोर दिया। सामाजिक सुधार के साथ-साथ वे पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सक्रिय रहे और सम्बाद कौमुदी” तथा मिरात-उल-अखबार” जैसे पत्र निकाले।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वे भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि बने। इंग्लैंड जाकर उन्होंने भारतीय समाज की समस्याओं को सामने रखा और उदारवादी विचारों का प्रचार किया।

इस प्रकार, राजा राममोहन राय ने अपने जीवन को समाज-सुधार, धार्मिक जागरण और आधुनिक शिक्षा के लिए समर्पित किया। वे भारत में नवजागरण और आधुनिक चेतना के अग्रदूत माने जाते हैं।

प्रमुख योगदान

धार्मिक सुधार

✔ सती प्रथा का विरोध किया
✔ एकेश्वरवाद (एक ईश्वर में विश्वास) का समर्थन किया
✔ मूर्तिपूजा और अंधविश्वासों का विरोध किया
✔ ब्रह्म समाज की स्थापना कर धार्मिक विचारों में सुधार लाने का कार्य किया

सामाजिक सुधार

✔ महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की
✔ शिक्षा का प्रचार किया
✔ विधवा विवाह का समर्थन किया
✔ जाति प्रथा और सामाजिक असमानता के खिलाफ आवाज उठाई

शैक्षणिक योगदान

✔ आधुनिक और वैज्ञानिक शिक्षा का समर्थन किया
✔ अंग्रेजी शिक्षा के साथ भारतीय भाषा और संस्कृति को जोड़ने का प्रयास किया
✔ स्कूल और कॉलेज स्थापित करने में सहयोग दिया

राजनीतिक जागरण

✔ प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन किया
✔ प्रशासनिक सुधारों की मांग की
✔ भारतीयों के अधिकारों के लिए ब्रिटिश शासन से संवाद किया

ब्रह्म समाज की स्थापना

✔ राजा राममोहन राय ने 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की।
✔ इसका उद्देश्य था – एकेश्वरवाद, धर्म की शुद्धि, तर्क आधारित पूजा, सामाजिक समरसता।
✔ ब्रह्म समाज ने आधुनिक भारतीय समाज में विचारों का नया क्षितिज खोला।

सती प्रथा के खिलाफ अभियान

✔ सती प्रथा में पति की मृत्यु के बाद पत्नी को जलाकर मार दिया जाता था।
✔ राजा राममोहन राय ने इसके खिलाफ आवाज उठाई।
✔ उन्होंने ब्रिटिश सरकार को ज्ञापन देकर इसे अपराध घोषित कराने का प्रयास किया।
1829 में लॉर्ड बेंटिक द्वारा सती प्रथा पर रोक लगाई गई, जिसमें उनका बड़ा योगदान था।

शिक्षा और प्रेस

✔ उन्होंने हिंदू कॉलेज जैसी संस्थाओं के निर्माण में योगदान दिया।
✔ विज्ञान, गणित, दर्शन और आधुनिक विषयों की शिक्षा का समर्थन किया।
✔ उन्होंने संवाद कौमुदी जैसे समाचार पत्रों का संपादन किया और प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन किया।

विदेश यात्रा

✔ राजा राममोहन राय ने 1831 में इंग्लैंड की यात्रा की।
✔ वहाँ जाकर उन्होंने भारत के हितों के लिए आवाज उठाई और पश्चिमी शिक्षा और विज्ञान को समझा।
✔ यूरोप में भारतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ाने का प्रयास किया।

उदाहरण

✔ सती प्रथा का विरोध कर हजारों महिलाओं को जीवनदान दिया।
✔ ब्रह्म समाज की स्थापना कर धार्मिक विचारों में क्रांति की।
✔ आधुनिक शिक्षा के द्वार खोलकर युवाओं को वैज्ञानिक सोच की दिशा दी।
✔ प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन कर जनजागरण को बढ़ावा दिया।

निष्कर्ष

राजा राममोहन राय भारतीय समाज के आधुनिक निर्माण के आधार स्तंभ हैं। उन्होंने धार्मिक अंधविश्वासों का विरोध कर समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की प्रेरणा दी। महिलाओं के अधिकार, शिक्षा, सामाजिक न्याय और धार्मिक सुधारों में उनका योगदान आज भी प्रासंगिक है। उनके प्रयासों से भारत में आधुनिकता की शुरुआत हुई और समाज को नई दिशा मिली। वे आज भी सुधार, मानवता और समानता के प्रतीक माने जाते हैं। उनका जीवन यह सिखाता है कि शिक्षा, तर्क और करुणा से समाज को बदलना संभव है।

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