सांस्कृतिक एवं विरासत पर्यटन का परिचय, परिभाषा, विशेषताएं, महत्व

सांस्कृतिक पर्यटन का परिचय – पर्यटन के विभिन्न रूपों में सांस्कृतिक पर्यटन विशेष महत्व रखता है। यह वह पर्यटन है जिसमें पर्यटक किसी क्षेत्र या देश की संस्कृति, परंपरा, कला, लोकजीवन और ऐतिहासिक धरोहर को देखने, समझने और अनुभव करने के उद्देश्य से यात्रा करते हैं। सांस्कृतिक पर्यटन केवल दर्शनीय स्थलों तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह किसी समाज के जीवन मूल्य, लोककला, साहित्य, नृत्य-संगीत, रीति-रिवाज, त्यौहार, खान-पान और स्थापत्य कला से भी गहराई से जुड़ा होता है।

  1. सांस्कृतिक पर्यटन (Cultural Tourism)-

सांस्कृतिक पर्यटन की प्रमुख विशेषताएँ:

सांस्कृतिक पर्यटन वह पर्यटन है जिसमें पर्यटक किसी क्षेत्र, देश या समाज की संस्कृति, जीवनशैली, परंपराएं, कला, साहित्य, संगीत, नृत्य, खानपान और उत्सवों का अनुभव प्राप्त करते हैं। इसे “पर्यटन की आत्मा” कहा जाता है क्योंकि यह हमें किसी समाज की पहचान और विरासत से जोड़ता है।

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विशेषताएं-

  1. लोक कला और शिल्पकला – हस्तशिल्प, चित्रकला, बुनाई, मिट्टी के बर्तन, आभूषण आदि।
  2. लोकनृत्य और संगीत – भरतनाट्यम (तमिलनाडु), कथक (उत्तर प्रदेश), कथकली (केरल), गरबा (गुजरात)।
  3. भाषा और साहित्य – क्षेत्रीय भाषा, कविता, महाकाव्य और साहित्यिक उत्सव।
  4. त्योहार और मेले – कुंभ मेला, पुष्कर मेला, गोवा कार्निवल, पोंगल, बिहू, ओणम।
  5. खानपान – दक्षिण भारतीय व्यंजन, राजस्थानी दाल-बाटी-चूरमा, बंगाली मिठाइयाँ, पंजाबी परांठे।
  6. ग्रामीण और जनजातीय जीवन – ग्रामीण मेले, हाट-बाज़ार, आदिवासी संस्कृति।
  7. इतिहास और धरोहर का अनुभव – किले, मंदिर, स्मारक, संग्रहालय आदि का भ्रमण।

महत्व

  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान और भाईचारे की भावना को प्रोत्साहन।
  • स्थानीय कारीगरों, कलाकारों और शिल्पियों को रोजगार के अवसर मिलने में सहायक।
  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी देश की पहचान मजबूत करना।
  • पर्यटन के माध्यम से अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने में सहायक ।
  • सांस्कृतिक पर्यटन से स्थानीय कला और शिल्प को प्रोत्साहन मिलता है।
  • यह अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है और रोज़गार के अवसर पैदा करता है।
  • पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच संस्कृति का आदान-प्रदान होता है।
  • यह राष्ट्रीय एकता और वैश्विक समझ को बढ़ावा देता है।
  1. विरासत पर्यटन (Heritage Tourism)- विरासत पर्यटन वह पर्यटन है जिसमें पर्यटक ऐतिहासिक, धार्मिक, स्थापत्य और सांस्कृतिक धरोहरों को देखने, समझने और अनुभव करने आते हैं। यह पर्यटन किसी देश या प्रदेश की इतिहास, परंपरा और गौरवशाली धरोहर से सीधा जुड़ाव कराता है।

मुख्य विशेषताएं-

  1. ऐतिहासिक स्मारक और स्थापत्य कला – किले, महल, गुफाएँ, स्तूप, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर।
  2. यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल – ताजमहल (आगरा), खजुराहो मंदिर समूह (मध्यप्रदेश), अजंता-एलोरा गुफाएँ (महाराष्ट्र), कुतुब मीनार (दिल्ली), सूर्य मंदिर (कोणार्क)।
  3. धार्मिक व आध्यात्मिक स्थल – वाराणसी, हरिद्वार, उज्जैन, अमृतसर, पुष्कर, मदुरै।
  4. संग्रहालय और पुरातात्विक स्थल – राष्ट्रीय संग्रहालय (दिल्ली), साँची स्तूप, भीमबेटका गुफाएँ, हड़प्पा-मोहनजोदड़ो स्थल।
  5. जीवंत विरासत – राजसी हवेलियाँ, पारंपरिक गाँव, विरासत होटल और लोक संस्कृति।

महत्व

  • इतिहास और परंपरा से रुचि – हमें अपनी जड़ों की पहचान कराता है।
  • धरोहर संरक्षण – प्राचीन स्थलों व स्मारकों के संरक्षण के लिए प्रेरित करता है।
  • आर्थिक लाभ – पर्यटन से स्थानीय लोगों को रोजगार व आय की प्राप्ति होती है।
  • राष्ट्रीय गौरव – किसी देश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को विश्वभर में स्थापित सहायक होता है।

विद्वानों द्वारा सांस्कृतिक पर्यटन की परिभाषाएँ

विश्व पर्यटन संगठन (WTO) के अनुसार –

“सांस्कृतिक पर्यटन वह प्रकार का पर्यटन है जो सांस्कृतिक आकर्षणों को देखने और सांस्कृतिक अनुभव प्राप्त करने हेतु किया जाता है।”

रिचर्ड्स (Richards, 1996) के अनुसार –

“सांस्कृतिक पर्यटन वह प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत पर्यटक सांस्कृतिक स्थलों, कलाओं, परंपराओं और जीवनशैली को देखने और समझने के लिए यात्रा करता है।”

भारत सरकार पर्यटन मंत्रालय के अनुसार –

 “सांस्कृतिक पर्यटन भारतीय विरासत, कला, स्थापत्य, शिल्प, संगीत, नृत्य, व्यंजन तथा परंपराओं से जुड़ा हुआ पर्यटन है, जो पर्यटकों को भारत की विविध सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराता है।”

संक्षेप में, सांस्कृतिक पर्यटन केवल यात्रा नहीं, बल्कि एक संस्कृति की आत्मा को जानने और महसूस करने का माध्यम है।

भारत के प्रमुख सांस्कृतिक पर्यटन स्थल– भारत अपनी विविधता, परंपराओं, कला, स्थापत्य और धार्मिक धरोहर के कारण विश्व के प्रमुख सांस्कृतिक पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यहाँ विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में अलग-अलग सांस्कृतिक धरोहरें हैं जो भारत की पहचान बनाती हैं। इन्हे अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से चार भागों में बांटा गया है –

भारत की पहचान बनाती हैं। इन्हे अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से चार भागों में बांटा गया है –

  • 1. ऐतिहासिक एवं स्थापत्य धरोहर स्थल
  • 2. धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन स्थल
  • 3. कला शिल्प और लोक संस्कृति केंद्र
  • 4. त्योहार एवं मेले

 

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