अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम एवम उसके कारण (American Freedom Movement and their causes)

 

 

अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम एवम उसके कारण

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                मानव की प्रगति में अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण योगदान है। जब 1442ई. में कोलम्बस ने एक नई दुनिया अमेरिका की खोज की. इसके साथ ही तत्कालीन विश्व की शक्तियो ने इस नई दुनिया पर अपनी-अपनी प्रभुता स्थापित करने के प्रयास शुरू कर दिये। डच, स्पेनिश और अंग्रेजो ने इस महाद्वीप पर अपनी सत्ता स्थापित करने प्रयास शुरु कर दिये। शुरु में स्पेन इस होड में सबसे आगे था लेकिन समय बीतने के साथ इंग्लैंड इस महाद्वीप की अकेली शक्तिशाली सत्ता के रूप में उभरकर सामने आया। अंग्रेजो ने यहाँ पर अप्ने 13 उपनिवेश स्थापित किये।जिसमें अंग्रेजो द्वारा अपने आर्थिक हितो की पूर्ति एवम औपनिवेशिक सत्ता के स्थायित्व के लिये जनता का शोषण तथा अत्याचार करने लगे। अंग्रेजो के अत्याचार और औपनिवेशिक शोषण के विरुध्द 18वी सदी के अंतिम वर्षो में अमेरिकी निवासियो ने जबरदस्त प्रतिक्रिया दी और ब्रिटिश सत्ता को उतार फेंका था। 4 जुलाई 1777ई. को सन्युक्त राज्य अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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संग्राम के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य –

 1. अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई जार्ज वाशिंगटन थे।

2. अमेरिका में ब्रिटिश औपनिवेशिक साम्राज्य की नीव इन्ग्लैंड के सम्राट जेम्स प्रथम के काल में हुई।

3. अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम की शुरूआत 1776 को हुई और 1783ई को खत्म हुई।

4. बोस्टन की चाय पार्टी स्वतंत्रता पार्टी का तात्कालिक कारण बना, जिसका नेता सैम्युल एडम्स था।

 5. विश्व में धर्म निरपेक्ष राज्य की स्थापना अमेरिका में ही हुई।

6. प्रजातंत्र की स्थापना भी सबसे पहले अमेरिका में हुई।

7. दुनिया में सर्वप्रथम लिखित संविधान 1789 ई. यही पर लागू हुआ।

8. 1 जनवरी 1863 ई. को अब्राहम लिंकन के द्वारा दास प्रथा का उन्मूलन किया गया।

 9. अमेरिकी सेना के सामने 1781ई. में आत्म समर्पण करने वाला ब्रिटेन का सेनापति लार्ड कार्नवालिस था ,जिसको बाद में भारत का गवर्नर जनरल बनाया गया था।

10. दास प्रथा का अंत 1808 ई. में अमेरिका में हुआ।

11. रेड इंडियन अमेरिका के मूल निवासी को कहा जाता था।

12. इसी दौरान अब्राहम लिंकन का सुप्रसिध्द कालजयी कथन सामने आया –‘’लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिये शासन है।‘’ इस दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाए घटी, जिसका असर इंग्लैंड सहित पूरे दुनिया के दूसरे देशो पर भीपड़ा।

 अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम के कारण-

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 सामाजिक धार्मिक कारण- 

1.मध्यम वर्ग का उदय –

क्रांति का आरम्भ होने के पूर्व ही अमेरिका में एक शसक्त माध्यम वर्ग का उदय हो चुका था.इसके अंतर्गत शिक्षित एवं धनी व्यक्ति थे .वे स्वतंत्र और प्रगतिशील विचारों के थे .उसमे सैनिक क्षमता एवं रणकुशलता भी थी .वे उपनिवेशों के शोषण और राजनितिक अधिकारों से वंचित किए जाने से उद्विग्न होकर स्वतंत्रता एवं समानता की भावना का प्रचार कर रहे थे .

2.स्वतंत्रता एवं आत्मविश्वास की भावना – उपनिवेशवासी स्वतंत्र प्रवृति के थे .उनमे से अधिकांश इंग्लैंड से आकर बसे थे .उन्हें ये बात अजीब लगती थी कि इंग्लैंड वालों को जो नागरिक अधिकार एवं स्वतंत्रता प्राप्त थी उनसे उपनिवेशवासियों को वंचित रखा गया था. इससे उनमे असंतोष बढ़ा.

3.धार्मिक कारण –

    इंग्लैंड में एंग्लिकन संप्रदाय एवं चर्च का व्यापक प्रभाव था .इसके विपरीत ,उपनिवेशवासी प्यूरिटन मत के पोषक थे और ऐंग्लिकनों को घृणा कीदृष्टि से देखते थे . धार्मिक अधिकारों से क्षुब्ध होकर प्यूरिटन संप्रदाय के लोगों ने इंग्लैंड से भागकर अमेरिका में शरण ली थी. इससे उनमे इंग्लैंड के विरुद्ध विद्रोह कि भावना बढ़ी .अतः ,वे इंग्लैंड से स्वतंत्र होने को व्यग्र हो गए।

4.सामाजिक संरचना में अंतर –

    इंग्लैंड और उपनिवेशों की सामाजिक संरचना में मूलभूत अंतर था.इंग्लैंड में सामंतवादी व्यवस्था एवं कुलीनों का प्रभाव था .इसके विपरीत अमेरिका में समानता की भावना एवं जनतांत्रिक मूल्यों को अधिक महत्व दिया गया.

5. आर्थिक कारण-

 उपनिवेशों की दयनीय आर्थिक स्थिति – सप्तवर्षीय युद्ध की समाप्ति के पश्चात् अमेरिका की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई .उस पर क़र्ज़ का बोझ बढ़ गया .मुद्रा का अवमूल्यन होने से अनाज की कीमत में कमीं आई .जिसका बुरा प्रभाव किसानों पर पड़ा . कल कारखाने बंद हो गए .इस निति से निकलने के लिए नई आर्थिक नीति की आवश्यकता थी ,परन्तु औपनिवेशिक सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया .इससे असंतोष एवं विद्रोह की भावना बढ़ी.

उपनिवेशों पर आर्थिक प्रतिबन्ध-  औपनिवेशिक आर्थिक नीति उपनिवेशों के आर्थिक दोहन पर आधारित थे .औपनिवेशिक सरकार ने अपनी आर्थिक हितों की सुरक्षा के लिए अनेक कानून बना रखे थे .

कुछ प्रमुख कानून निम्नलिखित है-

 • आयात निर्यात कानून 

• नेविगेशन एक्ट एवं अन्य ट्रेड एक्टस्टाम्प एक्ट 

• इम्पोर्ट ड्यूटीज एक्ट

 • लार्ड नार्थ के कठोर दंडात्मक कानून 

राजनीतिक कारण-

1.जॉर्ज तृतीय का निरंकुश शासन–   तत्कालीन ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज तृतीय (1760 -1820) के निरंकुश शासन ने भी विद्रोह को बढ़ावा दिया.मंत्रिमंडल को अनदेखी कर वह अपना व्यक्तिगत शासन चलाता था.उसने उपनिवेशों के प्रति अनुदार नीति अपनाई.अनेक कानूनों द्वारा जॉर्ज तृतीय ने उपनिवेशों पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रयास किया.सम्राट के इन नीतियों की तीखी प्रतिक्रिया उपनिवेशों में हुई .इससे आक्रोश बढ़ा और विद्रोह की भावना बलवती हुई .

2.उपनिवेशों की प्रशासनिक व्यवस्था-  

उपनिवेशों का प्रशासन इंग्लैंड में प्रचलित शासन – व्यवस्था के अनुरूप था. उपनिवेशवासियों को प्रशासनिक स्वायतत्ता नहीं थी.इंग्लैंड में प्रचलित कानून उपनिवेशों में भी लागू थे. न्याय -व्यवस्था सामान्य कानून एवं जूरी व्यवस्था पर आधारित थे. अधिकांश प्रमुख पदों पर अंग्रेज़ों को ही नियुक्त किया जाता था.प्रत्येक उपनिवेश के प्रशासन का प्रधान इंग्लैंड के राजा द्वारा नियुक्त गवर्नर होता था,जिसे अनेक विशेषाधिकार प्राप्त था लेकिन वह उपनिवेशवासियों के प्रति उत्तरदायी नहीं था.

3.सप्तवर्षीय युद्ध का प्रभाव – यूरोप में होने वाली सप्तवर्षीय युद्ध 1756 -63 से अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरणा मिली .अमेरिकी उपनिवेश इंग्लैंड से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे ,क्यूंकि कनाडा में वे फ्रांसीसियों का अकेले मुकाबला नहीं कर सकते थे .सप्तवर्षीय युद्ध में फ़्रांस बुरी तरह पराजित होकर अमेरिका से हर गया . अब इंग्लैंड ही एक मात्र शक्ति था जिसका सामना उपनिवेशवाशियों को करना था .सप्तवर्षीय युद्ध के दौरान अमेरिकी उपनिवेशों में युद्ध के सामान तैयार होने से औद्योगीकरण बढ़ा तथा उपनिवेशवालों के पास पर्याप्त मात्रा में अस्त्र -शस्त्र उपलब्ध हो गए.फलतः, वे इंग्लैंड के साथ युद्ध करने को तैयार हो गए .इसीलिए कहा जाता है कि सप्तवर्षीय युद्ध में इंग्लैंड कि विजय से ही अमेरिका का इतिहास आरम्भ होता है।

बौद्धिक जागरण- अमेरिका का शिक्षित वर्ग वाल्तेयर ,लॉक ,रूसो ,मांटेस्क्यू के राजनितिक दर्शन से गहरे रूप से प्रभावित हुआ इससे प्रेरणा लेकर टॉमस पेन जैसे अमेरिकी लेखक ने भी उपनिवेशों में नवजागरण लाने का प्रयास किया. टॉमस पेन ने कॉमनसेन्स पैम्फलेट में लेख लिखकर स्वतंत्रता की आवश्यकता पर बल दिया .”दि राइट्स ऑफ़ मैन” नमक पुस्तक लिखकर उन्होंने मानव अधिकारों की सुरक्षा का समर्थन किया . इन सारी गतिविधियों से स्वतंत्रता संग्राम की चाह बढ़ी ।

 भौगोलिक कारण– अमेरिकी स्वातंत्रय संग्राम को भौगोलिक दूरी ने भी प्रभावित किया. अमेरिका और इंग्लैंड हज़ारों मील कि दूरी पर अटलांटिक महासागर के दो किनारों पर अवस्थित थे.आवागमन के पर्याप्त साधनों के अभाव में इंग्लैंड का उपनिवेशों पर प्रभावी और प्रत्यक्ष नियंत्रण बनाए रखना दुष्कर कार्य था.उपनिवेशवासी इंग्लैंड कि इस समस्या से परिचित थे .अतः ,वे इंग्लैंड के साथ युद्ध करने को तैयार हो गए ।

तात्कालिक कारण-

वोस्टन की चाय पार्टी – अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम का तात्कालिक कारण था बोस्टन की चाय – पार्टी . चाय कानून के द्वारा ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत से सीधे अमेरिका चाय भेजने का एकाधिकार दिया गया .इस कानून का उपनिवेशवालों ने कड़ा विरोध किया .1773 में कंपनी की चाय से लदे जहाज अमेरिका के बोस्टन बंदरगाह पर पहुँचे.उपनिवेशवासी सरकार द्वारा चाय पर कर लगाए जाने से क्रोधित थे . जहाज़ों के बंदरगाह में पहुंचने पर बोस्टन के नागरिकों ने आदिवासियों के वेष में चाय की पेटियां समुद्र में फेंक दी .यह घटना बोस्टन चाय पार्टी के नाम से विख्यात हुआ . प्रतिक्रिया में सरकार ने बोस्टन बंदरगाह को व्यापर के लिए बंद कर दिया और दमनकारी कानून लागू कर दी .इस घटना ने स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बजा दिया . अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न चरण और स्वरुप औपनिवेशिक सरकार की नीतिओं से क्षुब्ध होकर उपनिवेशवासी संघर्ष के लिए तैयार हो गए . इसका प्रारम्भ फिलाडेलफिया के प्रथम समेल्लन में हुआ.

फिलाडेलफिया का प्रथम सम्मेलन  –  5 सितम्बर 1774 को फिलाडेलफिया में अमेरिकी उपनिवेशों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई .प्रतिनिधियों ने सरकार से मांग की कि उपनिवेशों पर लगाए जा रहे व्यापारिक प्रतिबन्ध समाप्त कर दिए जाए एवं उपनिवेशवासियों की सहमति के बिना उन पर कोई कर नहीं लगाया जाए. सरकार ने इन मांगों को ठुकरा दिया और इन मांगों को विद्रोह माँगा और विद्रोह को दबाने के लिए सरकार ने सेना भेजने का निर्णय लिया. उपनिवेशवासी भी संघर्ष के लिए तैयार हो गए. 19 अप्रैल 1975 को अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम युद्ध लेक्सिंगटन में हुआ .उपनिवेशवासियों ने अंग्रेजी सेना का जम कर मुकाबला किया .

फिलाडेलफिया का दूसरा सम्मेलन —  4 जुलाई 1976 को फिलाडेलफिया में ही उपनिवेशवासियों ने दूसरा सम्मेलन आयोजित किया. इस बैठक में स्वतंत्रता की घोषणा के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई .इस घोषणा को तैयार करने में वर्जीनिया के टॉमस जेफर्सन की विशेष भूमिका थी।

             

 

 

 

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